भारत सरकार ने दशकों बाद नगालैंड, असम और मणिपुर राज्यों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को ट्वीट कर जानकारी दी। इन राज्यों से AFSPA हटाने की मांग काफी समय से की जाती रही है। मणिपुर में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी अफस्पा एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ था।
दशकों बाद भारत सरकार ने इन राज्यों में अफस्पा के तहत आने वाले इलाकों का दायरा घटाया है। गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को सिलसिलेवार ट्वीट्स कर सरकार के इस फैसले की जानकारी दी। पीएम मोदी को श्रेय देते हुए अमित शाह ने कहा कि यह कदम पूर्वोत्तर में सुरक्षा के नजरिए से बेहतर होते हालात और विकास का नतीजा है।
गृह मंत्री ने ट्वीट कर कहा, “पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने दशकों बाद नागालैंड, असम और मणिपुर राज्यों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया है।” अमित शाह ने पूर्वोत्तर के लोगों को बधाई दी और कहा कि दशकों तक भारत का यह हिस्सा नजरअंदाज किया गया, लेकिन केंद्र सरकार का फोकस इसी पर है।
पिछले साल, नागालैंड में सेना के ऑपरेशन के दौरान 14 नागरिकों की मौत के मामले के बाद अफस्पा हटाने की मांग ने एक बार फिर जोर पकड़ा था। तब नगालैंड की राजधानी में नगा स्टूडेंट फेडरेशन के आह्वान पर हजार छात्र सड़कों पर उतरे थे और उन्होंने AFSPA कानून को रद्द करने की मांग की थी।
क्या है AFSPA कानून?
1958 में संसद द्वारा आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) को पारित किया गया था। इसे ऐसे क्षेत्रों में लागू किया जाता है, जो अशांत हैं और तनावपूर्ण हालात हैं। इस कानून के तहत सुरक्षाबलों को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं। अफस्पा के तहत, बिना वारंट के गिरफ्तारी का भी अधिकार मिलता है। सुरक्षाबलों को बिना किसी पूर्व नोटिस के इलाके में अभियान चलाने और छापेमारी करने का अधिकार प्राप्त होता है। साथ ही किसी अभियान में चूक होने की स्थिति में उनके ऊपर कानूनी कार्रवाई नहीं की जाती है।