पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में हाल ही में चार में भाजपा की सरकार बनने के बाद देश के राजनीतिक हालात में तेजी से परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। कांग्रेस समेत विपक्ष के विभिन्न दलों में विखराव को दूर करने के लिए कई नेता अपनी ओर से पहल शुरू कर दिए हैं। कभी जनता दल परिवार के शीर्ष नेताओं में रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव इन दिनों सियासी तौर पर काफी अलग-थलग हो गए थे। अब वे फिर से अपनी सक्रियता बढ़ाते हुए ऐलान किया है कि अगले 20 मार्च को वह अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का राष्ट्रीय जनता दल में विलय कर देंगे।
बुधवार को उन्होंने एक बयान में कहा, “एक समय था जब वर्ष 1989 में अकेले जनता दल के पास लोकसभा में 143 सीटें थीं। जनता दल परिवार ने अतीत में विशेष रूप से मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने के बाद विभिन्न सरकारों के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बाद देश में वंचित वर्गों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में काफी उत्थान देखने को मिला है।”
उन्होंने कहा है कि बिखरे हुए जनता दल परिवार को फिर से एक मंच पर लाने की उनकी पहल के तहत यह किया जा रहा है। कहा कि देश और आम जनता के हित में ऐसा करना जरूरी हो गया है। 2018 में बिहार के सीएम नीतीश कुमार से तकरार के बाद शरद यादव जनता दल यू से बगावत कर नई पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल के नाम से बनाई थी।
कुछ दिन पहले ही राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से उनकी मुलाकात हुई थी। इसके कुछ बाद ही पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने उनसे मुलाकात की थी। इसके अलावा भी उनकी नजदीकियां राजद के अन्य नेताओं के साथ तेजी से बढ़ी है। इसको देखते हुए ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि वह कुछ नया करने जा रहे हैं।
पिछले कुछ वक्त से बीमार चल रहे वरिष्ठ नेता शरद यादव राजनीतिक बैठकों में अब कम ही शामिल हो पाते हैं, लेकिन हाल के घटनाक्रमों के बाद उम्मीद है कि वे फिर से राजनीति में सक्रिय होंगे।