देश की राजनीति इन दिनों काफी बदलाव के दौर से गुजर रही है। एक तरफ यूपी समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही है तो दूसरी तरफ उत्तर-पूर्व की सियासत में दलों के अंदर नेताओं की आवाजाही से हलचल मची हुई है। त्रिपुरा के भाजपा के दो विधायकों सुदीप रॉय बर्मन और आशीष कुमार साहा ने सोमवार को विधानसभा और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और कहा कि भाजपा के शासन में लोकतंत्र दांव पर है। दूसरी तरफ मेघालय में कांग्रेस पार्टी के सभी पांच विधायक मंगलवार को भाजपा समर्थित सत्तारूढ़ मेघालय जनतांत्रिक गठबंधन (MDA) में शामिल हो गए।
त्रिपुरा में पांच बार के विधायक सुदीप रॉय बर्मन, जिन्हें 2019 में स्वास्थ्य मंत्री के पद से हटा दिया गया था, और साहा ने स्पीकर रतन चक्रवर्ती को अपना इस्तीफा सौंप दिया। दोनों नेताओं ने कहा कि वे मौजूदा शासन के तहत जनता की आवाज को दबाने की “साजिश” को खत्म करेंगे। कुछ महीने पहले ही भाजपा विधायक आशीष कुमार दास ने भी कुशासन का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी थी। वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।
आज दोपहर विधानसभा से बाहर निकलते हुए रॉय बर्मन ने संवाददाताओं से कहा, “हमने राहत की सांस ली है कि हमने इस्तीफा दे दिया है, क्योंकि यह सरकार उम्मीदों पर खरा उतरने में बुरी तरह विफल रही है। इस सरकार में सिर्फ एक आदमी की आवाज सुनी जाती है या उसके आदेश पर अमल होता है। कोई विधायिका, कोई मंत्री अपने अधिकार या शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता। पूरे राज्य में आतंक का राज खुल गया है। लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया है।”
दूसरी तरफ मेघालय में पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा सहित 12 विधायकों के पिछले साल टीएमसी में शामिल होने के बाद 17 विधायकों के साथ एक मजबूत विपक्ष कांग्रेस के पास केवल पांच विधायक रह गए थे। वे भी आज पार्टी छोड़कर चले गए और भाजपा समर्थित सत्तारूढ़ मेघालय जनतांत्रिक गठबंधन (एमडीए) में शामिल हो गए। इससे राज्य में कांग्रेस पार्टी का एक भी विधायक नहीं रह गया।
कांग्रेस विधायक दल (CLP) ने औपचारिक रूप से मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा को समर्थन पत्र सौंपा। पत्र पर सीएलपी नेता अम्पारेन लिंगदोह, विधायक पीटी सावक्मी, मायरलबोर्न सिएम, केएस मारबानियांग और मोहेंड्रो रापसांग ने हस्ताक्षर किए। पत्र की एक प्रति कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी भेजी गई है।