बिहार में वायरल बुखार का कहर जारी है। इसके चलते बड़ी संख्या में बच्चों को अस्पतालों में भर्ती करना पड़ रहा है। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि अस्पतालों में बच्चों को भर्ती करने के लिए आइसीयू (ICU) बेड़ नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह की स्थिति कोरोना की तीसरी लहर का कारण बन सकती है, जिसमें सबसे अधिक बच्चे प्रभावित होंगे।
बढ़ गया बच्चों में संक्रमण का खतरा
शिशु और कोरोना रोग विशेषज्ञ वायरल संक्रमण के अधिक गंभीर रूप में सामने आने का कारण कुपोषण को मान रहे हैं। उनके अनुसार कुपोषण से रोग प्रतिरोधक क्षमता और कम हो जाती है। यही नहीं गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे शरीर की आंत, नाक, त्वचा व गले में पाए जाने वाले अच्छे बैक्टीरिया और वायरस से भी संक्रमित हो जाते हैं। ऐसे में बुखार के चलते पहले से ही कमजोर पड़ चुकी प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों में कोरोना संक्रमण का खतरा और बढ़ गया है।
परिजन रखें बच्चों का खास ख्याल
एम्स में कोरोना (covid-19) के नोडल पदाधिकारी डॉ. संजीव कुमार के अनुसार यदि तीसरी लहर आई तो कुपोषित बच्चों में गंभीर लक्षण सामने आ सकते हैं। इसके लिए अभिभावकों को सचेत होने की जरूरत है। 6 माह से अधिक उम्र के बच्चों को मां के दूध के साथ अर्ध तरल खाद्य सामग्री जैसे दाल का पानी, खिचड़ी, दलिया, मसल कर मौसमी फल, सब्जियों का सूप आदि देना चाहिए।
गौरतलब है कि देश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते डा रहे हैं। बीते कई दिनों से देश में कोरोना के 30 से 40 हजार नए मामले सामने आ रहे हैं। वहीं केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में लगातार बढ़ते कोरोना मामले चिंता बढ़ा रहे हैं। कोरोना की तीसरी लहर की खबरों के बीच विशेषज्ञ लगातार लोगों से कोरोना नियमों का पालन करने और टीकाकरण कराने की अपील कर रहे हैं।