भारत में लगातार वैक्सिनेशन के आंकड़े बढ़ रहे हैं। हालांकि जिस स्वदेशी वैक्सीन से जनता को ज्यादा आस थी वह उम्मीदों पर अब तक खरी नहीं उतर पाई है। टीकाकरण अभियान को 8 महीने पूरे हो चुके हैं, बावजूद इसके अब तक 11 में से केवल एक शख्स को ही कोवैक्सीन की डोज लग पाई है। बता दें कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि दिसंबर तक कोवैक्सीन के 55 करोड़ डोज मिलेंगे लेकिन अब कंपनी ने केवल 5.8 करोड़ डोज का वादा किया है।
भारत बायोटेक अब तक वैक्सीन का उत्पादन नहीं बढ़ा सका है। ड्रग की कमी और अपर्याप्त फिलिंग कपैसिटी की वजह से हैदराबाद स्थिति कंपनी अपने टारगेट को हासिल करने में कामयाब नहीं हो पा रही है। बताया जा रहा है कि इस समय कंपनी केवल 3.5 करोड़ वैक्सीन का ही उत्पादन कर पा रही है। पहले 10 करोड़ डोज का टारगेट रखा गया था लेकिन धीरे-धीरे इसे घटा दिया गया।
मई के महीने में सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे में केंद्र ने कोवैक्सीन की 55 करोड़ डोज की बात कही थी। इस हिसाब से दिसंबर तक हर महीने 10 करोड़ डोज मिलनी चाहिए थी। एक महीने बाद इसमें 20 फीसदी की कटौती करके टारगेट 8 करोड़ कर दिया गया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त और सितंबर के महीने वैक्सीन के उत्पादन में भारी कमी आ गई।
वैक्सीन की कमी की वजह से भारत बायोटेक की क्षमता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। सरकार और कंपनी ने वैक्सीन सप्लाई को लेकर जो वादे किए थे, उनमें और मौजूदा स्थिति में बड़ा अंतर दिखायी देता है। अब तक सभी वैक्सीन के उत्पादन में 90 प्रतिशत कोविशील्ड है जिसका उत्पादन सीरम इंस्टिट्यूट करता है। दिसंबर तक 94 करोड़ की आबादी को वैक्सिनेट करने के लिए रोज 1 करोड़ डोज की जरूरत पड़ेगी।
अभी अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलने में देरी?
कोवैक्सीन को अभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलने में और देर हो सकती है। WHO ने वैक्सीन के बारे में कई अहम जानकारियां मांगी हैं। ऐसे में जिन लोगों ने कोवैक्सीन की डोज ली है और वे विदेश जाना चाहते हैं, उन्हें और ज्यादा इंतजार करना होगा। जब तक WHO इसे स्वीकृति नहीं देता है तब तक कई देशों में वैक्सीन को मान्यता नहीं मिलेगी।