नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार को बड़ा बयान देते हुए कहा है कि भारत को तालिबान से बात करनी चाहिए क्योंकि उसने अफगानिस्तान में भारी निवेश किया है। उन्होंने कहा कि अभी अफगानिस्तान में तालिबान की ही सरकार है, ऐसे में अगर इन्वेस्ट को लेकर बात क्यों नहीं की जा सकती। अगर उस देश से अधिक इन्वेस्टमेंट होता है तो इसमें बराई ही क्या है। इस तरफ देश की सरकार को सोचना चाहिए। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अफगानिस्तान की नई सरकार से अब मानवता की उम्मीद है।
जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम ने कहा कि तालिबान इस समय अफगानिस्तान में शासन कर रहा है। अफगानिस्तान में पिछले शासन के दौरान भारत ने विभिन्न परियोजनाओं पर अरबों खर्च किए। हमें मौजूदा अफगान शासन से बात करनी चाहिए। जब हमने देश में इतना निवेश कर दिया है तो उनसे संबंध रखने में क्या हर्ज है। उन्होंने कहा कि इस महीने की शुरुआत में, नेकां सुप्रीमो ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि तालिबान अफगानिस्तान में सुशासन और मानवाधिकारों का सम्मान करेगा।
अफगानिस्तान पर सवाल का जवाब देते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा मुझे उम्मीद है कि वे (तालिबान) सुशासन देंगे और उस देश (अफगानिस्तान) में इस्लामी सिद्धांतों का पालन करेंगे और मानवाधिकारों का सम्मान करेंगे। उन्हें हर देश के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करने का प्रयास करना चाहिए। बता दें कि इससे पहले अब्दुल्ला के अलावा महबूबा मुफ्ती भी तालिबान पर कई बयान दे चुकी हैं।
सितंबर के पहले सप्ताह में, महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि तालिबान को शरिया कानून के उस रूप का पालन करने के लिए दुनिया के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए जहां महिलाओं के अधिकारों का सम्मान किया जाता है और शरीयत कानून की उनकी व्याख्या को दूर किया जाता है। पिछले हफ्ते, उन्होंने भाजपा पर तालिबान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मुद्दों पर वोट हासिल करने के लिए राजनीति करने का आरोप लगाया था।
बता दें कि भारत और अमेरिका ने तालिबान से अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करने और महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यक समूहों सहित सभी अफगानों के मानवाधिकारों का सम्मान करने का आह्वान किया है।
शुक्रवार को व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बीच पहली व्यक्तिगत द्विपक्षीय बैठक के बाद जारी यूएस-इंडिया संयुक्त नेताओं के बयान में, दोनों नेताओं ने कहा कि तालिबान को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान जैसी घटना फिर कभी न हो, इस बैठक में चर्चा हुई कि किसी देश को धमकाने या हमला करने या आतंकवादियों को पनाह देने या प्रशिक्षित करने वाले देशों पर विचार करना चाहिए।