झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर लाभ के पद के मामले में चुनाव आयोग विधानसभा सदस्यता की अयोग्यता पर फैसला ले सकता है। अगर ऐसा हो गया तो उन्हें एक निश्चित समयावधि में चुनाव लड़ना पड़ सकता है। ऐसे में जब तक वो दोबारा चुनाव जीतकर नहीं आ जाते तब तक राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा? सियासी गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है। राजभवन के अधिकारियों ने बताया कि चुनाव आयोग ने सोरेन के पास खनन पट्टे का आवंटन होने की शिकायत पाई गई है।
सरकार में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए के तहत ये मामला विधानसभा सदस्यता से अयोग्यता का है। गुरुवार (25 अगस्त) की देर रात तक राज्यपाल रमेश बैस ने आधिकारिक तौर पर इस बात का ऐलान नहीं किया था। रमेश बैस ने ही 28 मार्च को हेमंत सोरेन के खिलाफ बीजेपी के पूर्व सीएम रघुबर दास की शिकायत पर चुनाव आयोग को डोजियर भेजा था। इस मामले में अब आयोग की राय मिल चुकी है। ऐसे में इस मामले पर राज्यपाल जल्दी ही कानूनी विशेषज्ञों से सलाह मशविरा लेने के बाद ऐलान करेंगे।
कल्पना सोरेन होंगी पहला विकल्प, बीजेपी लगा सकती है अटकल
अगर हेमंत सोरेन अयोग्य घोषित हो गए तो सबसे पहला सवाल उठेगा कि अगला मुख्यमंत्री कौन? तो ऐसे में हेमंत सोरेन बिहार के लालू प्रसाद यादव के मॉडल को चुन सकते हैं जैसे कि उन्होंने साल 1997 में किया था। हेमंत सोरेन ने पत्नी कल्पना सोरेन का नाम सीएम की रेस में सबसे पहले रखा है। हालांकि बीजेपी ने कहा है कि वो कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री नहीं बनने देगी। बीजेपी का दावा है कि कल्पना सोरेन झारखंड की आदिवासी सीट से चुनाव नहीं लड़ पाएंगी क्योंकि वो झारखंड के आदिवासी समुदाय से नहीं आती हैं। ऐसे में झामुमो के पास दूसरे संभावित उम्मीदवार के तौर पर परिवहन मंत्री चंपाई सोरेन हैं।
सदस्यता रद्द होने के बाद भी सरकार सुरक्षित
झामुमो का मानना है कि अगर एक विधायक के रूप में सीएम हेमंत सोरेन को अयोग्य घोषित कर भी दिया जाता है तो पहले तो वह सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। हालांकि सदस्यता अयोग्य घोषित होने के बाद भी सरकार पर कोई खतरा नहीं है। यहां पर जेएमएम के 30 विधायकों के साथ कांग्रेस के 18 विधायक मौजूद हैं हालांकि इनमें 3 नाराज हैं जिन्हें कथित तौर पर सरकार को अस्थिर करने के मामले में पश्चिम बंगाल में नकद रुपयों के साथ गिरफ्तार किया गया था। एक विधायक आरजेडी का भी है कुल मिलाक सरकार 49 के जादुई आंकड़े के पास ही है। वहीं विपक्ष में बीजेपी की बात करें तो उसके पास 26 विधायक हैं सहयोगियों को मिलाकर 30 का समर्थन है।