14 जुलाई को भारत रचेगा इतिहास, चंद्रयान-3 लॉन्चिंग के साथ बनेगा दुनिया का चौथा देश

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भारत अपने मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के जरिए इतिहास रचने को तैयार है। 14 जुलाई को दोपहर 2.35 बजे श्रीहरिकोटा से चंद्रयान -3 की लॉन्चिंग की जाएगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने जबसे इसके लॉन्चिंग की तारीख की घोषणा की है तब से पूरी दुनिया की नजर इस मिशन पर है। इस बार सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश की जाएगी। जाहिर है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अब तक किसी भी देश ने लैंडिंग नहीं की है। रूस, अमेरिका और चीन ने चांद के उत्तरी ध्रुव में सॉफ्ट लैंडिंग कराई है। जिसके बाद अब भारत दुनिया का चौथा देश बनने जा रहा है।

श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 लॉन्च

राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि इस हफ्ते श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 लॉन्च होते ही, भारत चंद्रमा की सतह पर अपना अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अमेरिकी यात्रा में अंतरिक्ष संबंधी महत्वपूर्ण समझौते हुए, जिससे पता चलता है कि जिन देशों ने भारत से बहुत पहले अपनी अंतरिक्ष यात्रा शुरू की थी, वे आज देश को एक समान सहयोगी के रूप में देख रहे हैं।

क्या है चंद्रयान-3 की खासियत

चंद्रयान-2 की असफलता को देखते हुए चंद्रयान-3 में कई सुधार किए गए हैं। चंद्रयान-3 में पिछले मिशन की तरह ऑर्बिटर के बजाय प्रोपल्शन मॉड्यूल का प्रयोग किया जाएगा। इस मिशन में लैंडर और रोवर को प्रोपल्शन मॉड्यूल के ज़रिए चंद्रमा से 100 किलोमीटर की दूरी तक लेकर जाया जाएगा। पिछले चंद्रयान-2 में यह काम ऑर्बिटर के ज़रिए किया गया था।

क्या होगा चंद्रयान- 3 का उद्देश्य

मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार, राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘चंद्रयान -3 की चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग के बाद, छह पहियों वाला रोवर बाहर आएगा और इसके चंद्रमा पर 14 दिनों तक काम करने की उम्मीद है। रोवर पर लगे कई कैमरों की मदद से, हम वहां कि फोटो प्राप्त करने में सक्षम होंगे।’ बता दें कि चंद्रयान-3 का कुल बजट क़रीब 615 करोड़ रुपये बताया गया है। इसरो ने इस मिशन का तीन अहम लक्ष्य बताया है।

 

क्यों महत्वपूर्ण चंद्रयान- 3

जाहिर है कि चंद्रयान- 3 का अभियान न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के वैज्ञानिक समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है। लैंडर चांद की उस सतह पर भेजा जाएगा जिसके बारे में अब तक कोई जानकारी मौजूद नहीं है। लिहाज़ा इस अभियान से हमारी धरती के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चांद के विषय में जानकारी और बढ़ेगी। इससे न सिर्फ चांद बल्कि भविष्य में अन्य ग्रहों के विषय में भी अंतरिक्ष अनुसंधान की क्षमता विकसित होगी।

 

पहले के चंद्र अभियान हुए विफल

बता दें कि चांद को लेकर इसरो का चंद्रयान-3 तीसरा अंतरिक्ष अभियान है। जिसे भारतीय चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम के नाम से भी जाना जाता है। इससे पहले भारत ने अपना पहला साल 2008 में चंद्र अभियान-1 में प्रक्षेपित किया था। स पर एक ऑर्बिटर और इम्पैक्ट प्रोब भी था लेकिन यह शेकलटन क्रेटर के पास क्रैश हो गया था। बाद में उस जगह को जवाहर प्वांइट का नाम दिया गया। जिसके बाद भारत चांद की सतह पर झंडा फहराने वाला चौथा देश बन गया। उससे पहले अमेरिका, रूस और जापान ये कामयाबी हासिल कर चुके थे।

चंद्रयान- 2 में लैंडर से टूटा संपर्क

तब अपने प्रक्षेपण के 312 दिन बाद उसका संपर्क धरती से टूट गया लेकिन ये जानकारी दी गई कि संपर्क टूटने से पहले इस अभियान का 95 फ़ीसद लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। हालांकि तब मिली मिश्रित सफलता भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक बहुत बड़ा क़दम था। 10 साल के बाद 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान- 2 विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के साथ प्रक्षेपित किया गया। 6 सितंबर 2019 को जब इसने चांद की सतह पर सॉफ़्ट लैंडिंग की कोशिश की तो विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया।

14 जुलाई को चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग

चंद्रयान-3 इसरो का ड्रीम प्रोजेक्ट है। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को दोपहर 02.35 बजे लॉन्च किया जाएगा। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 मिशन के तहत इसरो 23 अगस्त या 24 अगस्त को चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करेगा। भारत सहित बाकी के सारे देशों ने मानव रहित मिशन भेजे हैं। अमेरिका ने अपना पहला मिशन 1969 में भेजा था जब नील आर्म्सट्रॉन्ग ने पहली बार चंद्रमा पर कदम रखा था।

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