प्रमाणपत्र देंगी सरकारी प्रयोगशालाएं
विदेश व्यापार के महानिदेशक (DGFT) की ओर से सोमवार को जारी एक बयान में कहा गया, ‘नमूनों की जांच के बाद और उत्पाद पर विश्लेषण वाली सरकारी प्रयोगशालाओं के प्रमाणपत्र के बाद ही विदेश भेजे जाने वाले कफ सीरप को निर्यात करने की इजाजत दी जाएगी।’ कफ सीरप के सैंपल की जांच जिन सरकारी प्रयोगशालाओं में होगी सरकार ने उनके नाम बताए हैं।
इन लैब्स में हो सकेगी जांच
इनमें इंडियन फार्मासोपोइया कमीशन, रीजनल ड्रग टेस्टिंग लैब (RDTL, चंडीगढ़), सेंट्रल ड्रग्स लैब (CDL-कोलकाता), सेंट्रल ड्रग टेस्टिंग लैब (CDTL-चेन्नई हैदराबाद, मुंबई), आरडीटीएल (गुवाहाटी) और नेशनल एक्रेडिएशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिबरेशन लेबोरेट्रीज (NABL) शामिल हैं।
जांच के बाद ही निर्यात की होगी इजाजत
नए नियम के बारे में जानकारी देते हुए एक अधिकारी ने कहा कि भारत से निर्यात होने वाले फॉर्मास्युटिकल उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सककार ने कफ सीरप की गुणवत्ता जांचने के लिए एक प्रक्रिया की शुरुआत करने का फैसला लिया है। इसमें कफ सीरप के निर्माण में इस्तेमाल तत्वों की जांच की जाएगी। अधिकारी ने बताया कि तैयार कफ सीरप की जांच इन प्रयोगशालाओं में की जाएगी और इसके बाद ही इन्हें निर्यात करने की अनुमति मिलेगी।
गांबिया में बच्चों की मौत को भारतीय सीरप से जोड़ा गया
बता दें कि कुछ महीने पहले गांबिया में 66 और उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत को कथित रूप भारत में निर्मित कफ सीरप से जोड़ा गया। वहीं, गत फरवरी में तमिलनाडु स्थित ग्लोबल फॉर्मा हेल्थकेयर ने अपने आइ ड्राप की पूरी खेप को वापस मंगा लिया। भारत से बड़े पैमाने पर कफ सीरप का निर्यात होता है। साल 2022-23 में 17.6 अरब डॉलर और साल 2021-22 में 17 अरब डॉलर मूल्य के कफ सीरप बाहर भेजे गए।