उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म होते ही महंगाई फिर से दिखनी शुरू हो गई है। इसको लेकर केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए विपक्ष ने इसे जनता के लिए भाजपा का गिफ्ट बताया। शुरुआत पेट्रोल-डीजल की कीमतों से हुई। इनके मूल्यों में लगातार दूसरे दिन 80 पैसे का इजाफा किया गया है। घरेलू गैस सिलेंडरों के दाम में मंगलवार को ही 50 रुपये की बढ़ोतरी कर दी गई थी। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत अब 97.01 रुपए प्रति लीटर होगी, जो पहले 96.21 रुपए प्रति लीटर थी। वहीं, डीजल की कीमत 87.47 रुपए प्रति लीटर से बढ़कर 88.27 रुपए हो गई है। पिछले साल मार्च में दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 91 रुपए और डीजल की कीमत 81 रुपए थी।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि “विधानसभा चुनाव 2022 के प्रचार के दौरान मैंने पहले ही कहा था कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के घरेलू सिलेंडर की कीमतें बढ़ेंगी। चार राज्यों में सरकार बनाने के बाद ईंधन और गैस की कीमतों में वृद्धि देश के लोगों के लिए भाजपा का पहला उपहार है।”
इस तरह की महंगाई आगे भी जारी रहने की आशंका जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि तेल कंपनियां 17 रुपए प्रति लीटर तक कीमतें बढ़ा सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जो क्रूड ऑयल नवंबर में 81.6 डॉलर प्रति बैरल था, वह अब बढ़कर 115 डॉलर प्रति बैरल हो गया है।
उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले चार नवंबर से कीमतें स्थिर थीं। रिकॉर्ड 137 दिन के बाद 22 मार्च को कीमत में 80 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि की गई है। तेल कंपनियां अब घाटे की भरपाई कर रही हैं। ‘क्रिसिल रिसर्च’ के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में हुई वृद्धि से पूरी तरह से पार पाने के लिए दरों में 15-20 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की आवश्यकता है। भारत अपनी तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर 85 फीसदी निर्भर है।
राष्ट्रीय राजधानी में कई लोगों ने कीमतों में उछाल पर निराशा व्यक्त की है, लेकिन कहा यह आश्चर्य की बात नहीं है। उन्होंने कहा, “यह चिंताजनक है लेकिन इसकी उम्मीद पहले से थी क्योंकि अब विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और यूक्रेन में युद्ध चल रहा है। सरकार केवल चुनावों के दौरान लोगों की सुनती है। अब चुनाव खत्म हो गया है, इसलिए ऐसा होने की उम्मीद थी।”