अंडरवियर में इसलिए रखा ताकि कपड़ों से फांसी न लगा लें- पत्रकारों की अर्धनग्न वायरल तस्वीर पर SHO की सफाई

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मध्य प्रदेश के सीधी जिले से सोशल मीडिया पर एक तस्वीर खूब चर्चा में बनी हुई है। इस वायरल तस्वीर में नजर आ रहे लोग केवल अंडरवियर पहने हुए हैं। दरअसल, इस तस्वीर में कुछ पत्रकार और कुछ रंगकर्मी और कुछ स्थानीय नेता हैं। इन पर बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला और उनके बेटे गुरु दत्त शुक्ला के बारे में अभद्र टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया। जिसके बाद पुलिस ने इन्हें थाने में लाकर अर्धनग्न अवस्था में खड़ा कर दिया। तस्वीर वायरल होने के बाद एसएचओ ने सफाई दी तो यूजर्स भड़क गए।

एसएचओ की सफाई : सीधी थाने के SHO ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि पकड़े गए लोग पूरे नग्न नहीं थे। सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें हवालात में डालने से पहले अंडरवियर में इसलिए रखते हैं ताकि कोई व्यक्ति अपने कपड़ों से खुद को फांसी ना लगा ले। पत्रकारों को अर्ध नग्न रखने के पीछे एसएचओ ने सुरक्षा की बात की।

यूजर्स ने किया ऐसे कमेंट्स : प्रभाकर मिश्रा नाम के एक यूजर ने कमेंट किया कि इस तस्वीर में केवल कुछ लोग नंगे नहीं दिख रहे हैं, मुझे तो इसमें मध्य प्रदेश की पूरी व्यवस्था नंगी दिख रही है। विनोद कापड़ी ने कमेंट किया कि थोड़ी लाज बची है शिवराज सिंह चौहान? अमरीश गुप्ता नाम की एक टि्वटर हैंडल से कमेंट किया गया – पत्रकारों को नग्न करने के मामले में इन साहब का बयान सुनेंगे तो कसम से आपको स्प्रिंग लग जाएगी।

सत्यम ज्योति नाम के यूजर लिखते हैं, ‘ यह बयान सुनने के बाद लॉजिक भी फांसी लगाकर ना मर जाए।’ आलोक रंजन लिखते हैं- वाह रे सुरक्षा। क्या तर्क गढ़ा है साहब ने .. मतलब कुछ भी? रितेश मिश्रा नाम के यूजर द्वारा कमेंट किया गया कि इन्होंने पता नहीं कौन सा अपराध किया था लेकिन कोई अपराध इतना भी गंभीर नहीं हो सकता। यह
मानव अधिकारों का खुला मजाक है।

क्या है पूरा मामला : सीधी के विधायक केदारनाथ शुक्ला के खिलाफ नाट्य समिति के संचालक नीरज कुंदेर द्वारा विधायक और उनके बेटे को फेसबुक पोस्ट द्वारा आपत्तिजनक शब्द कहे गए। जिसके बाद नीरज पर विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया। नीरज के समर्थन में सीधी के कुछ पत्रकार और नाटक कर्मियों ने थाने के बाहर प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन कर रहे लोगों से पुलिस ने बदसलूकी की। उसके बाद पुलिस उन्हें घसीटते हुए थाने में ले गई। रात भर उन्हें थाने में रखकर मारपीट की गई और सुबह जमानत दे दी गई। जब यह मामला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास पहुंचा तो पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने सीधी थाना के प्रभारी और एक पुलिस सब इंस्पेक्टर को लाइन अटैच कर दिया है। वहीं मामले की जांच एक सीनियर पुलिस अधिकारी को सौंपी गई है।

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