वाराणसी. कोरोना काल में फर्जीवाड़ा कर लोगों की जान से खेला जाने वाला काला कारोबार गुजरात, मध्य प्रदेश होते अब यूपी के बनारस तक पहुंच गया है। मानवता के इन दुश्मनों को यूपी एसटीएफ ने पकड़ा है। ये लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करने वाले ये आरोपी न केवल कोरोना संक्रमितों के लिए रामबाण रेमडिसिविर इंजेक्शन बनाते रहे बल्कि ये नकली वैक्सीन व कोरोना जांच किट भी बना कर मासूम जनता के जीवन से खेल रहे थे।
कोरोना की नकली दवाएं
कोरोना की दूसरी लहर में गुजरात और मध्यप्रदेश में हुआ था नकली रेमडिसिविर के खेल का खुलासा
बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान नकली रेमडिसिविर इंजेक्शन बनाने और उसे बेंचने का पहला मामला गुजरात में सामने आया था। उसके साथ ही काले कारोबारियों का ये खेल मध्य प्रदेश के जबलपुर, रीवा, नरसिंहपुर तक पहुंचा। गुजरात पुलिस व एसआईटी जबलपुर ने इस गोरखधंधे का खुलासा किया। करीब दो-तीन महीने तक रोजाना एक के बाद एक आरोपी एसआईटी और जबलपुर पुलिस के हत्थे चढ़ते गए। इस बीच इस नकली इंजेक्शन के शिकार कई लोगों की मौत भी हुई। इसके आरोपी फिलहाल जबलपुर केंद्रीय कारागार में बंद हैं। उन पर रासुका तक लगाया जा चुका है।
प्रेग्नेंसी किट को बना दिया कोरोना की टेस्ट किट
ठीक उसी तर्ज पर वाराणसी में यूपी एसटीएफ टीम ने ऐसे पांच आरोपियो को बुधवार को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि सभी 40 रुपए की प्रेग्नेंसी किट को कोरोना की टेस्ट किट बता कर बाजार में 500 रुपये में बेचते रहे। यही नहीं डिस्टिल वॉटर को कोरोना वैक्सीन बता कर निजी अस्पतालों में सप्लाई करते रहे। इस नकली कोरोना टीका को तैयार करने में महज 25 रुपये की लागत आती थी और इसे 300 रुपए में बेचा जा रहा था। साथ ही ग्लूकॉन-डी पॉउडर को नकली रेमडिसिविर इंजेक्शन के तौर पर बड़े पैमाने पर बेचा जा रहा था।
एसटीएफ ने किया खुलासा
यूपी एसटीएफ ने बुधवार देर शाम बताया कि कोरोना के उपचार के नाम पर नकली इंजेक्शन, जांच किट और वैक्सीन का गोरखधंधा करने वाले गिरफ्तार पांचों युवकों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। उनका कहना है कि जल्दी से जल्दी करोड़पति बनने के इरादे से उन्होने ये काला कारोबार शुरू किया। आरोपियों की मानें तो ये अब तक एक करोड़ रुपए से ज्यादा कमा चुके हैं।
कोरोना की पहली लहर से शुरू हुआ ये काला कारोबार
यूपी एसटीएफ ने बताया है कि वाराणसी के सिद्धिगिरी बाग स्थित धनुश्री कांपलेक्स में रहने वाले राकेश थावानी जो जूते-चप्पल का कारोबारी है, नोटबंदी के दौरान नोटों को अवैध तरीके से बदलने के आरोप में जेल भी जा चुका है। लेकिन जमानत पर आने के बाद वह फिर से दुकान चलाने लगा। फिलहाल उसे चार करोड़ रुपए की नकली दवाओं के साथ गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ में पता चला है कि कोरोना की पहली लहर में जब बाजार में मास्क की किल्लत हुई तो उसने मास्क का कारोबार शुरू किया। इसी दौरान उसकी मुलाकात कबीरचौरा के राहुल जायसवाल से हुई जिसने उसे कोरोना जांच किट के रोजगार की जानकारी दी। उसके बाद उसने दिल्ली के लक्ष्य जावा से संपर्क किया और दिल्ली के ही गुरजीत से मुलाकात कराई। फिर तीनों ने संयुक्त रूप से नकली रेमडिसिविर इंजेक्शन, कोविड वैक्सीन और कोविड टेस्ट किट तैयार कर बेचने की योजना बनाई।
बनारस से दिल्ली तक फैला काला कारोबार
राकेश ने एसटीएफ को बताया कि उसके दोस्त बौलिया लहरतारा के अरुणेश विश्वकर्मा ने रोहित नगर में करीब 6 महीने पहले किराए पर कमरा लिया। दिल्ली से पैकिंग मशीन और इंजेक्शन वगैरह तैयार करने के लिए शीशी मंगाई गई। एमसीए पास पठानी टोला चौक निवासी संदीप शर्मा उर्फ मक्कू से नकली रेमडिसिविर इंजेक्शन, कोविड वैक्सीन और कोविड टेस्ट किट के रैपर तैयार करा कर अस्सी घाट स्थित विद्या प्रिटिंग प्रेस में छपवाना शुरू किया गया। इसके बाद नकली रेमडिसिविर इंजेक्शन, कोविड वैक्सीन और कोरोना टेस्ट किट बनाने का काम शुरू किया।
ये थी मॉडस आपरेंडी
एसटीएफ की वाराणसी इकाई के एडिशनल एसपी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि नकली इंजेक्शन, वैक्सीन और कोविड किट को तैयार करने का काम राकेश थावानी, बलिया के शमशेर सिंह और संदीप शर्मा उर्फ मक्कू का था। दिल्ली ले जाकर उसे दक्षिण भारत के प्राइवेट अस्पतालों और लैब में बेचने का काम दिल्ली निवासी लक्ष्य जावा, विजय कुमार और यश कुमार का था। इस काम में लक्ष्य जावा की मदद दिल्ली के अरुण शर्मा, अरुण पाटनी, मानसी, रणवीर, गुरजीत और गुरबाज करते थे। एसटीएफ को 7 नामजद आरोपियों की तलाश है। गिरफ्तार पांचों आरोपियों को आगे की कार्रवाई के लिए लंका थाने की पुलिस को सौंपा गया है।
आरोपियों के पास से बरामद सामग्री
नकली कोविड टेस्ट किट – 10,800
नकली कोविड वैक्सीन – 1,600
नकली रेमडिसिविर इंजेक्शन – 1,550
पैकेजिंग मशीन – 4
भरी हुई शीशी – 6000
खाली शीशी – 2 कार्टून
एक्सयूवी कार
4,100 रुपए
मोबाइल – 6
रैपर और पैकेजिंग मटेरियल भारी मात्रा में