राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज सुखोई-30(Sukhoi-30) से उड़ान भरी । शनिवार सुबह वह तेजपुर वायुसेना स्टेशन पहुंची, जहां उन्हें गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया। सेना के तीनों अंग वायु सेना, जल सेना और थल सेना की सुप्रीम कमांडर होने के नाते राष्ट्रपति को सैन्य नीतियों से भी अवगत कराया गया। इसके थोड़ी देर बाद वह सुखोई-30 में सवार हुईं और उड़ान भरी। बता दें, राष्ट्रपति मुर्मू इन दिनों अपने असम दौरे पर हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू सुखोई-30 की सवारी करने वाली दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं । इससे पहले प्रतिभा पाटिल ने भी सुखोई-30 से उड़ान भरी है। उनके अलावा पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, रामनाथ कोविंद भी इससे उड़ान भर चुके हैं।
चीन को कड़ा संदेश देने जा रहा भारत राष्ट्रपति मुर्मू की इस उड़ान को चीन के खिलाफ भारत का कड़ा संदेश माना जा रहा है। दरअसल, हाल ही में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ जगहों के नाम बदलने की कोशिश की थी। उसी के तुरंत बाद भारत की ओर से यह कदम उठाया जा रहा है। जिस तेजपुर एयरफोर्स स्टेशन से राष्ट्रपति सुखोई में उड़ान भरी , वह स्टेशन चीन, म्यांमार, बांग्लादेश और भूटान से सीमाओं की सुरक्षा करता है। ऐसे में इस स्टेशन से सेना के सुप्रीम कमांडर की उड़ान दुश्मन देशों के खिलाफ एक कड़ा संदेश माना जा रहा है।
दुश्मन के लिए बेहद घातक है सुखोई
सुखोई 30 फाइटर जेट दुश्मन के लिए बेहद घातक माना जाता है। यह 2120 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ता है और इसकी कॉम्बेट रेंज 3000 किलोमीटर तक है। इस विमान में ग्रिजेव-शुपुनोव ऑटोकैनन लगी है, जो एक मिनट में 150 राउंड फायर कर कसती है। इसके अलावा यह विमान चार तरह की मिसाइल और 10 तरह के बम बरसाने में भी सक्षम है। ब्रह्मोस मिसाइल लगने से यह फाइटर जेट दुश्मनों के लिए और भी घातक हो गया है। यह विमान 8130 किलोग्राम तक का वजह उठा सकता है।