प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 नवंबर गुरुवार को ‘द सिडनी डायलॉग’ में अपने संबोधन के दौरान क्रिप्टोकरेंसी पर अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि बिटकॉइन गलत हाथों में न जाए, जोकि हमारे युवाओं को खराब कर सकता है। बता दें कि सिडनी संवाद 17 नवंबर से 19 नवंबर तक ऑस्ट्रेलिया में आयोजित हो रहा है।
गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट’ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का मकसद राजनीतिक, व्यावसायिक और सरकार में शामिल नेताओं को एक मंच पर लाने को लेकर है। इसके जरिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी से पैदा होने वाली चुनौतियों व अवसरों के मद्देनजर साझा सहमति बनाने के लिए काम करना है।
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि एक लोकतंत्र और डिजिटल लीडर के रूप में भारत अपनी साझा समृद्धि और सुरक्षा मे भागीदारों के साथ काम करने के लिए तैयार है। भारत की डिजिटल क्रांति लोकतंत्र, जनसांख्यिकी और अर्थव्यवस्था के पैमाने में निहित है। यह हमारे युवाओं के उद्यम और इनोवेशन से संचालित है।
उन्होंने कहा, “प्रौद्योगिकी वैश्विक प्रतिस्पर्धा का प्रमुख साधन बन गई है, ये भविष्य की अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने की कुंजी है। प्रौद्योगिकी और डेटा नए हथियार बन रहे हैं। लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत खुलापन है। हमें वेस्टर्न इंटरेस्ट के स्वार्थों को इसका दुरुपयोग नहीं करने देना चाहिए।”
पीएम मोदी ने कहा कि उदाहरण के लिए क्रिप्टोकरेंसी या बिटकॉइन को लें। यह महत्वपूर्ण है कि सभी लोकतांत्रिक राष्ट्र इस पर एक साथ काम करें और यह तय करें कि यह गलत हाथों में न जाए, जो हमारे युवाओं को खराब कर सकता है।
पीएम ने कहा, “डिजिटल युग हमारे चारों ओर सब कुछ बदल रहा है। इसने राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज को फिर से परिभाषित किया है।यह संप्रभुता, शासन, नैतिकता, क़ानून, अधिकारों और सुरक्षा पर नए सवाल उठा रहा है। यह अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा, शक्ति और नेतृत्व को नया आकार दे रहा है।”
वहीं पीएम मोदी के संबोधन को लेकर ऑस्ट्रेलिया के PM स्कॉट मॉरिसन ने कहा, “ऑस्ट्रेलिया-भारत के बीच गहरी दोस्ती है, समय के साथ हमारे संबंध और आगे बढ़ेंगे। हम अंतरिक्ष, विज्ञान, डिजिटल प्रौद्योगिकी सहित कई क्षेत्रों में बहुत प्रगति कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के लिए सम्मान की बात है कि PM मोदी ‘सिडनी डायलॉग’ को संबोधित कर रहे हैं।”
वहीं पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लोगों के लिए बड़े सम्मान की बात है कि मुझे सिडनी डायलाग के संबोधन के लिए आमंत्रित किया गया। मैं इसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र और उभरती डिजिटल दुनिया में भारत की केंद्रीय भूमिका की मान्यता के रूप में देखता हूं।