पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ, राहुल गाँधी के इंतजार  में हुई 15 मिनट देरी 

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नई  दिल्ली : पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने सोमवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल बीएल पुरोहित ने उन्हें पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ समारोह का कार्यक्रम 11 बजे तय था लेकिन राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के इंतजार के चलते इसमें देरी हुई। लगभग 15 मिनट के इंतजार के बाद शपथ ग्रहण का कार्यक्रम शुरू किया गया। चन्नी (Charanjit Singh Channi) की शपथ के बाद राहुल राजभवन पहुंचे, उनके साथ नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) और हरीश रावत नजर आए। सभी ने चन्नी (Charanjit Singh Channi) को मुख्यमंत्री पद की बधाई दी। उधर कांग्रेस से नाराज चल रहे पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह इस समारोह में नजर नहीं आए। चन्नी के अलावा कांग्रेस नेता ओपी सोनी और सुखजिंदर एस रंधावा ने भी मंत्री पद की शपथ ली।

सिटी काउंसिल का अध्यक्ष चुने जाने से लेकर पंजाब में दलित समुदाय से पहले मुख्यमंत्री के रूप में चुने जाने तक चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) का पिछले दो दशकों में सियासत में लगातार कद बढ़ता गया। पंजाब के रूपनगर जिले के चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से तीन बार के विधायक चन्नी 2012 में कांग्रेस में शामिल हुए थे और कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई वाले कैबिनेट में टेक्निकल एजुकेशन, इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग, एंप्लॉयमेंट जेनरेशन और टूरिजम एंड कल्चरल अफेयर विभागों को संभाल रहे थे। चन्नी ने प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे का पक्ष लेते हुए अमरिंदर सिंह के खिलाफ तीन अन्य मंत्रियों के साथ बगावत की थी।

पंजाब में विधानसभा चुनाव में बमुश्किल पांच महीने बचे हैं इसलिए कांग्रेस द्वारा मुख्यमंत्री के रूप में एक दलित चेहरे का ऐलान खासे मायने रखता है क्योंकि दलित राज्य की आबादी का लगभग 32 फीसदी हिस्सा हैं। दोआबा क्षेत्र – जालंधर, होशियारपुर, एसबीएस नगर और कपूरथला जिले में दलितों की आबादी सबसे ज्यादा है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से गठबंधन कर चुके शिरोमणि अकाली दल ने पहले ही घोषणा कर दी है कि विधानसभा चुनाव में जीत मिलने पर दलित वर्ग के किसी नेता को उपमुख्यमंत्री का पद दिया जाएगा। राज्य में आम आदमी पार्टी भी जीत की उम्मीदें लगाए हुए है।

58 साल के चन्नी (Charanjit Singh Channi) का सीएम चुना जाना भले ही हैरान करने वाला फैसला लगता हो लेकिन यह सोचा-समझा हुआ कदम भी हो सकता है क्योंकि पार्टी को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री पद के लिए दलित वर्ग से नेता के चयन का विरोध नहीं होगा और अमरिंदर सिंह की नाराजगी से हुए संभावित नुकसान की भरपाई हो जाएगी। चन्नी ने तीन अन्य मंत्रियों – सुखजिंदर सिंह रंधावा, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और सुखबिंदर सिंह सरकारिया के साथ और विधायकों के एक गुट ने पिछले महीने अमरिंदर सिंह के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया था। उन्हें अधूरे वादों को पूरा करने की कैप्टन की क्षमता पर कोई भरोसा नहीं था।

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