ओरेवा कंपनी के मैनेजर का शर्मनाक बयान, हमारा नहीं, ‘ईश्वर का कृत्य’ है मोरबी ब्रिज हादसा

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गुजरात में गत रविवार को हुए मोरबी ब्रिज हादसे में 135 निर्दोष लोगों की जान चली गई। इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों पर राज्य सरकार अब कार्रवाई कर रही है। इस मामले में अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार लोगों में ब्रिज का मरम्मत करने वाली ओरेवा कंपनी के दो मैनेजर भी हैं। इन दो मैनेजरों में से एक ने कोर्ट में बेहद गैर-जिम्मेदाराना एवं शर्मनाक बयान दिया है। मैनेजर ने इस हादसे को ‘ईश्वर का कृत्य’ बताया है और अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश की है।

ईश्वर का कृत्य है घटना-मैनेजर

अभियोजन पक्ष के वकील एसएच पंचाल ने कहा कि गिरफ्तार ओरेवा कंपनी के एक मैनेजर ने कोर्ट को बताया कि ब्रिज गिरने की घटना ‘ईश्वर का कृत्य है।’ यानी कि मोरबी ब्रिज हादसे में मानवीय गलती नहीं है बल्कि ईश्वर चाहते थे कि ब्रिज गिर जाए। बता दें कि मोरबी ब्रिज के मरम्मत का ठेका ओरेवा ग्रुप के पास था। हादसे के बाद पुलिस ने इस ग्रुप के दो मैनेजरों और ब्रिज का मरम्मत करने वाले दो ठेकेदारों को गिरफ्तार किया। कोर्ट ने इन्हें शनिवार तक पुलिस की हिरासत में भेजा है। पांच अन्य गिरफ्तार लोगों में सुरक्षा गार्ड, टिकट बुक करने वाले क्लर्क शामिल हैं, इन्हें न्यायिक हिरासत में हैं।

मरम्मत कार्य के उपयुक्त नहीं थे ठेकेदार

बताया जा रहा है कि ब्रिज का मरम्मत करने का काम जिन ठेकेदारों को दिया गया था वे इस तरह के मरम्मत कार्य के उपयुक्त एवं लायक नहीं थे। रिपोर्टों यह बात भी सामने आई है कि मरम्मत में ब्रिज की फ्लोरिंग तो बदली गई थी लेकिन केबल पुराने थे। फ्लोरिंग का वजन ज्यादा होने की वजह से केबल उसका भार नहीं उठा सके। हादसे के समय ब्रिज पर लोगों की संख्या भी ज्यादा थी। अभियोजन पक्ष के वकील का कहना है कि इस अयोग्यता के बावजूद साल 2007 और फिर 2022 में ब्रिज के मरम्मत का ठेका इन ठेकेदारों को दिया गया।

आरोपियों का केस नहीं लड़ेगा बार एसोसिएशन

मोरबी बार एसोसिएशन ने बुधवार को कहा कि इसके सदस्य मच्छु नदी पर बना केबल पुल टूटने के मामले में आरोपियों की पैरवी नहीं करेंगे। गुजरात के मोरबी में रविवार को हुए इस हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई। एसोसिएशन के सदस्यों ने बुधवार को विरोध मार्च निकाला। इससे एक दिन पहले उसने पुल टूटने के मामले में आरोपियों की पैरवी नहीं करने को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया था। वरिष्ठ अधिवक्ता ए.सी. प्रजापति ने कहा, ‘मोरबी बार एसोसिएशन और राजकोट बार एसोसिएशन ने उनकी पैरवी नहीं करने का निर्णय लिया है। दोनों बार एसोसिएशनों ने यह प्रस्ताव पारित किया है।’

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