सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्री के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत रद्द कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को एक हफ्ते के अंदर सरेंडर करने को भी कहा है। देश की शीर्ष अदालत ने कहा है कि, हाई कोर्ट ने पीड़ित पक्ष को नहीं सुना।
यही नहीं हाई कोर्ट ने अजय मिश्री को जल्दबाजी में जमानत दी है। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायाल ने हाई कोर्ट दोबारा मामला को सुनवाई करे। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को अपना अहम फैसला सुनाया है। इस फैसले के साथ ही आशीष मिश्रा को बड़ा झटका लगा है। बता दें कि, शीर्ष अदालत ने चार अप्रैल को आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की किसानों की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले आशीष मिश्रा को जमानत देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा था कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और घावों की प्रकृति जैसे अनावश्यक विवरण में नहीं जाना चाहिए था, जब परीक्षण शुरू होना बाकी था।
ये है पूरा मामला
बता दें कि, लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में 3 अक्टूबर को किसान-आंदोलन के दौरान बवाल हुआ था। तीन गाड़ियां प्रदर्शन कर रहे लोगों को कुचलते हुए चली गई थीं। इस घटना में चार किसानों सहित कुल 8 लोगों की मौत हुई थी।
गाड़ी से कुचलकर मारे गए किसानों के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याची के वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि आशीष को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दी थी। जमानत देने का हाईकोर्ट का आदेश अपराध की गंभीरता के हिसाब से गलत है।
आशीष मिश्रा के पास फिलहाल दो विकल्प नजर आ रहे हैं। पहला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 1 हफ्ते में सरेंडर कर दें। दूसरा- पुनर्विचार याचिका दाखिल कर मामले पर एक बार फिर राहत मिलने की कोशिश करें। हालांकि जानकारों की मानें तो फिलहाल आशीष मिश्रा को सरेंडर तो करना ही होगा।
इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने यूपी सरकार से गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा था। चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।