सुप्रीम कोर्ट की एकता कपूर को फटकार, कहा- आप युवाओं के दिमाग को दूषित कर रहीं

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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फिल्म और टीवी प्रोड्यूसर एकता कपूर को उनके ओटीटी ऐप ऑल्ट बालाजी पर स्ट्रीम हुई वेब सीरीज ‘XXX’ में दिखाए गए ‘आपत्तिजनक सीन्स’ को लेकर फटकार लगाते हुए कहा कि वह इस देश की युवा पीढ़ी के दिमाग को दूषित कर रही हैं. इस कोर्ट में एकता कपूर द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई चल रही थी. वेब सीरीज ‘XXX’ में सैनिकों का कथित रूप से अपमान करने और उनके परिवारों की भावनाओं को आहत करने के लिए उनके खिलाफ जारी किए गए गिरफ्तारी के वारंट को एकता की तरफ से चुनौती दी गई थी.

जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने एकता कपूर से कहा कि “कुछ तो किया जाना चाहिए. आप इस देश की युवा पीढ़ी के दिमाग को दूषित कर रहे हैं. यह कंटेस्टेंट सभी के लिए उपलब्ध है. ओटीटी (ओवर द टॉप) कंटेंट कोई भी देख सकता है. इस तरह की सीरीज के जरिए आप लोगों को किस तरह का विकल्प दे रहे हैं?.इसके विपरीत आप युवा पीढ़ी के दिमाग को प्रदूषित कर रही हैं.

एकता की तरफ से अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने रखा अपना पक्ष

एकता कपूर की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की गई है, लेकिन इस बात की कोई उम्मीद नहीं है कि मामला जल्द ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अदालत ने पहले भी इसी तरह के मामले में कपूर को संरक्षण दिया था. रोहतगी ने आगे कहा कि ये कंटेस्टेंट्स सब्सक्रिप्शन पर आधारित है और इस देश में हर किसी को अपने पसंद की स्वतंत्रता (Freedom Of Choice) है.

अदालत ने लगाई फटकार

हालांकि इस बारें में बात करते हुए अदालत से कहा गया है कि “हर बार जब आप इस अदालत में चले आते हैं. हम इस बात की सराहना नहीं करते हैं. ऐसी याचिका दायर करने के लिए हम आप पर कीमत (कॉस्ट)लगाएंगे. श्री रोहतगी कृपया इसे अपने मुवक्किल को बताएं. सिर्फ इसलिए कि आप अच्छे वकीलों की सेवाएं ले सकते हैं, ये अदालत आपकी मदद नहीं करेगी. ये अदालत उन लोगों के लिए नहीं है जिनके पास आवाज है.’

एकता कपूर के लिए ये भी कहा गया है की “यह अदालत उन लोगों के लिए काम करती है जिनके पास अपनी आवाज नहीं है. जिन लोगों के पास हर तरह की सुविधाएं हैं, अगर उन्हें न्याय नहीं मिल सकता है तो इस आम आदमी की स्थिति के बारे में सोचें. हमने आदेश देखा है और हमारे अपने रिजर्वेशन हैं.’ शीर्ष अदालत ने मामले को लंबित रखा और सुझाव दिया कि उच्च न्यायालय में सुनवाई की स्थिति के बारे में जानने के लिए एक स्थानीय वकील को काम पर लगाया जा सकता है

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