नवंबर में लगने जा रहा है साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, इस राशि और नक्षत्र के लोग सबसे ज्यादा होंगे प्रभावित

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धार्मिक मान्यताओं अनुसार चंद्र को ग्रहण लगना अशुभ माना जाता है। क्योंकि इसका पृथ्वी के सभी जीव-जंतुओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए ग्रहण से बचने के उपाय किये जाते हैं। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार ग्रहण काल के दौरान शुभ कार्य करना वर्जित होता है। 26 मई को इस साल का पहला चंद्र ग्रहण लगा था और अब 19 नवंबर को साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। जानिए इस ग्रहण से संबंधित पूरी डिटेल।

19 नवंबर 2021 चंद्र ग्रहण डिटेल:
-साल का दूसरा चंद्र ग्रहण शुक्रवार को लगेगा।
-ये आंशिक चंद्र ग्रहण होगा।
-ग्रहण की शुरुआत 11.32 AM से होगी और इसकी समाप्ति रात 05.33 बजे पर होगी।
-हिंदू पंचांग अनुसार चंद्र ग्रहण विक्रम संवत 2078 में कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन घटित होगा।
-चंद्र ग्रहण वृषभ राशि और कृत्तिका नक्षत्र में लगने जा रहा है। इसलिए इस राशि और नक्षत्र के लोगों पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा।
-भारत, उत्तरी यूरोप, अमेरिका, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर के इलाकों में ग्रहण दिखाई देगा।
-भारत में ये ग्रहण उपच्छाया मात्र ही दिखाई देगा इसलिए इसका सूतक काल प्रभावी नहीं होगा।

चंद्र ग्रहण के दौरान क्या न करें:
-इस दौरान किसी भी नए काम की शुरुआत न करें।
-भोजन बनाने और खाने से बचें।
-ग्रहण काल में पूजा पाठ के काम नहीं किए जाते।
-इस दौरान तुलसी का पौधा स्पर्श नहीं करना चाहिए।
-ग्रहण काल में सोने से बचना चाहिए।
-गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में धारदार वस्तु का उपयोग नहीं करना चाहिए।

कितने प्रकार के होते हैं चंद्र ग्रहण? ग्रहण 3 प्रकार के होते हैं। एक होता है पूर्ण चंद्र ग्रहण। इस दौरान सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी परिक्रमा करते हुए आ जाती है जिससे चांद पूरी तरह से ढक जाता है। इस दौरान चांद गुलाबी रंग का दिखाई देता है। इसे सुपर ब्लड मून भी कहा जाता है। दूसरा होता है आंशिक चंद्र ग्रहण।

इस दौरान पृथ्वी चंद्र के कुछ भी भाग को ढक पाती है। चांद पूरी तरह से पृथ्वी के पीछे नहीं छुप पाता। इसे ही आंशिक चंद्र ग्रहण कहते हैं। तीसरा है उपच्छाया चंद्र ग्रहण जो तब होता है जब सूर्य और चंद्र के बीच पृथ्वी उस समय आती है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में नहीं होते। इस दौरान पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया चांद पर पड़ती है जिसे उपच्छाया या पिनम्ब्रा कहते हैं। इस स्थिति में चंद्रमा पर कुछ धुंधली सी आकृति नजर आती है।

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