मुंबई के बीएमसी कोविड सेंटर घोटाला (BMC Covid Scam) मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से की गई रेड में चौंकानेवाले खुलासे हुए हैं. ईडी के अफसरों को पता चला है कि शवों को सील करने के लिए जो बैग खरीदे गए थे, उनकी खरीद में बीएमसी ने बड़ा स्कैम किया था. आरोप है कि जो कंपनी शवों को सील करने के लिए ये बैग मार्केट में दो हजार रुपए की दर से बेच रही थी, उसी बैग को बीएमसी ने तीन गुना से अधिक, 6800 रुपये की दर से खरीदा.
आरोप के मुताबिक, इस कंपनी को ये कॉन्ट्रैक्ट तत्कालीन मेयर की सिफारिश पर दिया गया. कोविड के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं बीएमसी को मिलने वाली दरों से 25-30 फीसदी कम दाम पर बाजार में उपलब्ध थीं. यह बात उनके संज्ञान में आने के बाद भी बीएमसी अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की. लाइफलाइन अस्पताल ने बीएमसी को दिए बिल में दिखाए गए डॉक्टरों की तुलना में 60-65 प्रतिशत कम डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ ही उपलब्ध कराए थे.
कंपनी की ओर से बिल में भी हेराफेरी की गई. बिल में उन डॉक्टरों के नाम लिखे गए, जो अपनी सेवाएं नहीं दे रहे थे.सूत्रों के मुताबिक, अलग-अलग ठिकानों पर हुई अबतक की छापेमारी में तकरीबन 70 करोड़ नकद, महाराष्ट्र में 150 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की तकरीबन 50 अचल संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज, तकरीबन 15 करोड़ की एफडी/निवेश दस्तावेज, तकरीबन 2.5 करोड़ की ज्वेलरी इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं.
ईडी के निशाने पर सूरज
सूरज चव्हाण के मोबाइल फोन में उनके और लाइफलाइन अस्पताल के पार्टनर्स के बीच के चैट मिले हैं. इसको लेकर ईडी को संदेह है कि सूरज चव्हाण लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट फर्म को बीएमसी से ठेका दिलाने के लिए प्रभावित कर रहे थे.
लाइफलाइन हॉस्पिटल का मैनेजमेंट सवालों के घेरे में
लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज को पुणे के शिवाजीनगर में जंबो कोविड सेंटर में मेडिकल सर्विस और स्टाफ प्रदान करने का काम सौंपा गया था. लेकिन इसी सेंटर में एक पत्रकार की मौत के बाद पुणे नगर पालिका ने एक कमेटी नियुक्त की और जांच में पता चला कि इस कंपनी के पास मेडिकल सेवाएं देने का कोई पुराना अनुभव नहीं है. इसलिए कमेटी ने कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया. इसके बावजूद मुंबई में बीएमसी ने इस कंपनी को जंबो कोविड सेंटर का कॉन्ट्रैक्ट दिया.