जामताड़ा गैंग के DNA में साइबर फ्रॉड, बाप के बाद बेटे के हाथ में अपराध की कमान, IT एक्स्पर्ट्स भी उनके सामने फेल

104 0

साइबर फ्रॉड की कोई घटना घटे और उसके डायरेक्ट या इनडायरेक्ट कनेक्शन जामताड़ा से ना मिले ये लगभग असंभव है। जामताड़ा झारखंड और बंगाल बॉर्डर पर बसा हुआ जिला है। यह डिस्ट्रिक्ट पिछले 5 सालों से साइबर फ्रॉड का हॉटस्पॉट जाने बना हुआ है। जामताड़ा में हो रहे फ्रॉड की वजह से टेलीकॉम कंपनियों से लेकर 7 राज्यों की पुलिस भी तंग है।

अभी हाल ही में दूरसंचार विभाग ने बिहार-झारखंड लोकेशन के 2.5 लाख सिम कार्ड को बंद करने का फैसला लिया है। इनमें अधिकांश सिम जामताड़ा और उसके आसपास के क्षेत्रों में उपयोग किया जा रहा था। दिल्ली पुलिस ने भी मई 2023 में 21 हजार सिम के साथ जामताड़ा से 5 लोगों को पकड़ा था।
झारखंड पुलिस के मुताबिक जामताड़ा में साल 2020 से लेकर अब तक साइबर अपराध के आरोप में 170 लोगों की गिरफ्तारी की गई है। यह गिरफ्तारी सिर्फ जामताड़ा पुलिस ने की है। अन्य राज्यों की पुलिस के साथ संयुक्त छापेमारी में यह संख्या 500 से अधिक है।पुलिस छापेमारी में करीब 100 से अधिक मोबाइल और 300 से अधिक सिम कार्ड भी बरामद किए गए।

इन सालों में जामताड़ा में 3 एसपी भी बदले और सबने साइबर अपराध खत्म करने को अपनी प्राथमिकता बताई, लेकिन इसके बावजूद जामताड़ा नेक्सस का नेस्तनाबूत करने में पुलिस अब तक पूरी तरह सफल नहीं हो पाई है।

जामताड़ा गैंग की ठगी के तरीके, पुलिसिया कार्रवाई की विफलता और साइबर फ्रॉड कानून के बारे में डिटेल में जानते हैं…

सबसे पहले जामताड़ा के साइबर अपराध का अड्डा बनने की कहानी को जानते हैं

झारखंड-बंगाल बॉर्डर पर स्थित जामताड़ा 1990 के दशक में रेलवे में वैगन ब्रेकिंग, पिल्फरेज यानी चोरी और नशा खिलाकर यात्रियों को लूटने के लिए बदनाम था। लेकिन मोबाइल के आने के बाद यह साइबर अपराधियों का गढ़ बन गया।

साइबर अपराधियों ने पहले ओटीपी मॉड्यूल और बाद में अलग-अलग तरीके अपनाकर लोगों के साथ फ्रॉड करना शुरू कर दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक झारखंड के 308 गांव साइबर क्राइम के कामों से जुड़े हुए हैं। यहां महिलाएं भी फ्रॉड से जुड़े हुए अपराधियों को पुलिस से बचाने में काफी मदद करती हैं।
साल 2021 में अपराधियों को पकड़ने गई भोपाल पुलिस पर महिलाओं ने जामताड़ा में हमला कर दिया था।

बाप के बाद बेटे ने संभाली फ्रॉड की कमान

पुलिस के मुताबिक कई ऐसे मामले सामने आए, जिसमें पिता के जेल जाने के बाद फ्रॉड की कमान बेटे ने संभाल ली। यानी यहां अपराध भी परंपरागत चल रहा है। इतना ही नहीं, गिरफ्तार अपराधी भी जमानत मिलने के बाद फिर से इस काम में जुट जाते हैं।
जामताड़ा गैंग की वजह से बिहार, यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और नई दिल्ली की पुलिस सबसे अधिक परेशान है। इन राज्यों में साइबर फ्रॉड के अधिकतर मामलों के तार जामताड़ा से ही जुड़ा हुआ होता है।
गौर करने वाली बात यह है कि जामताड़ा गैंग के मेंबर ज्यादा पढ़े-लिखे भी नहीं होते हैं। इसके बावजूद साइबर ठगी का यह खेल बड़ी आसानी से करते हैं। यह भी किसी मिस्ट्री से काम नहीं है।
जामताड़ा गैंग के ठगी करने के 3 यूनिक स्टाइल, डिकोड करने में IT एक्सपर्ट्स भी फेल!

पहला मामला: बैंक का फिशिंग मैसेज भेजकर

तारीख: 18 मई, जगह: रांची। ICICI बैंक ने एक शिकायत दर्ज कराई। बैंक का कहना था कि साइबर अपराधी उसके ग्राहकों के मोबाइल में फिशिंग मैसेज भेजता है। इस मैसेज के साथ एक लिंक होता है, जिस पर क्लिक करने के बाद ऑटोमेटिक पैसा कट जाता है।
साइबर सेल की इंवेस्टिगेशन में पता चला कि इस काम को भी जामताड़ा गैंग के लोग ही अंजाम दे रहे हैं। पुलिस खुलासे के मुताबिक जामताड़ा गैंग बैंक के हूबहू ID से ग्राहकों को एक फिशिंग मैसेज भेजता है। मैसेज के साथ एक लिंक रहता है, जिस पर क्लिक करने के लिए कहता है।
लिंक पर क्लिक होने के बाद सारा डेटा अपराधी के पास तुरंत चला जाता है, जिसके बाद उसका उपयोग कर अकाउंट से पैसा निकाल लेता है।

दूसरा मामला: रिमोट ऐप के जरिए ओटीपी पढ़ लेते हैं
जामताड़ा गैंग के मेंबर इस मॉड्यूल के जरिए मदद की जरूरत वाले लोगों के साथ ठगी करता है। इस मॉड्यूल में सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले लोगों से पहले फोन के जरिए संपर्क करता है और फिर उसे एनी डेस्क जैसे ऐप डाउनलोड करने के लिए कहता है।

साइबर अपराधी लोगों से क्रेडिट/डेबिट कार्ड की मांग करता है। अपराधी इस दौरान काफी सतर्कता भी बरतता है। वे लोगों से कई बार डिटेल मिटाकर भेजने के लिए कहता है। जैसे ही कार्ड मिलता है, वैसे ही अपराधी क्रिप्टोकरेंसी में पैसा लगाने के लिए अकाउंट से क्रेडिट की कोशिश करते हैं।
ओटीपी मांगने की बजाय खुद एनी डेस्क के जरिए ओटीपी देख लेते हैं। पैसा निकालने के बाद तुरंत फोन काट देते हैं।

फ्रॉड का तीसरा तरीका पल भर में कर देगा अकाउंट खाली
यह तरीका जामताड़ा गैंग का थोड़ा पुराना है। इस मॉड्यूल के जरिए उन लोगों को निशाना बनाया जाता है, जो किसी ई-कॉमर्स वेबसाइट से सामान खरीदते हैं। सामान खरीदने के बाद जब कस्मटर कंप्लेन करते हैं, तो तुरंत गैंग के सदस्य एक्टिव हो जाते हैं।
कस्टमर केयर रिप्रजेंटिव बनकर पहले सामान बदल देने की बात करता है और फिर उसके एवज में पैसा मांगता है। पैसा देने के तुंरत बाद कस्टमर से कनेक्शन काट लेता है।

पुलिस और ED के जॉइंट ऑपरेशन में भी नहीं रुका बढ़ते क्राइम का ग्राफ
जामताड़ा गैंग पर पुलिस के साथ-साथ ED ने भी नकेल कसने कीकोशिश कर चुकी है। 2021 में ईडी ने जामताड़ा गैंग से जुड़े सदस्यों की 66 लाख की संपत्ति जब्त की थी, लेकिन इसके बावजूद क्राइम में कोई कमी दर्ज नहीं की गई है।

साल 2020 में अकेले जामताड़ा में 70 केस दर्ज किए गए, जबकि यह संख्या 2021 में बढ़कर 72 हो गया। 2022 में यह संख्या बढ़कर 73 पर पहुंच गया। आइए अब आगे समझते हैं कि जामताड़ा में साइबर ठगों को मिट्टी में मिलाने में पुलिस क्यों फेल है?

गिरफ्तारी के बाद अपराधियों को तुरंत जमानत मिल जाना
सांगठनिक अपराध में शामिल जामताड़ा गैंग के अपराधी जब पुलिस गिरफ्त में आते हैं, तो उन पर सिर्फ साइबर अपराध से जुड़े आरोपो में मुकदमा दर्ज किया जाता है। साइबर अपराध की धाराओं में तुरंत जमानत भी मिल जाती है।

अप्रैल 2023 में एक बड़ी कार्रवाई में दिल्ली पुलिस ने जामताड़ा गैंग के 5 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें एक आरोपी निजामुद्दीन अंसारी ने पूछताछ में बताया कि वो दिसंबर 2022 में साइबर ठगी के एक आरोप में ही जमानत पर छूटा था। अंसारी के मुताबिक जेल से आने के बाद फिर उसने यह काम शुरू कर दिया। अंसारी ने बताया कि जामताड़ा में अधिकांश आरोपी इसी तरह के काम करते है।

दरअसल, पुलिस शिकायत मिलने के बाद अमूमन जामताड़ा गैंग के सदस्यों पर IT (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43, 66 (सी) और IPC धारा 419 के तहत केस दर्ज करती है, जो जमानती धारा है।
इन धाराओं में केस दर्ज होने के बाद गैंग के सदस्य कुछ दिन जेल में रहते हैं और फिर बाहर निकल जाते हैं। जेल से बाहर निकलने के बाद यह अपराध बदस्तूर जारी रहता है।

जामताड़ा के एसपी मनोज स्वर्गियारी बात करते हुए कहते हैं- जामताड़ा गैंग पर हम लगातार शिकंजा कस रहे हैं। छापे भी कार्रवाई भी समय-समय पर होती है। हमारी कोशिश गैंग में शामिल लोगों को मैक्सिमम पनिशमेंट दिलाने की रहती है।

साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक भारत में साइबर फ्रॉड केस में अधिकतम 3 साल की सजा हो सकती है।

अपराधियों की मानसिकता और लोगों में जागरुकता की कमी
लंबे वक्त से झारखंड में अपराध पर काम कर रहे वरिष्ठ पत्रकार विजय देव झा बताते हैं- जामताड़ा के लोग साइबर ठगी को अपराध नहीं मानते हैं यही मानसिकता उसे बार-बार अपराध करने के लिए प्रेरित करता है।

विजय देव झा आगे कहते हैं- जामताड़ा अब रडार पर है, इसलिए अपराधियों ने ठिकाना भी बदलना शुरू कर दिया है। अब देवघर और गया को ये अपराधी अपना अड्डा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

जामताड़ा एसपी मनोज स्वर्गियारी के मुताबिक लोगों में जागरुकता की कमी की वजह से यह अपराध लगातार बढ़ रहा है। स्वर्गियारी कहते हैं- सबकुछ ऑनलाइन हो गया है, ऐसे में ये गैंग परेशान और भोले-भाले लोगों को आसानी से निशाना बना लेते हैं।

Spread the love

Awaz Live

Awaz Live Hindi Editorial Team members are listed below:

Related Post

बाल विवाह रोकने के लिए राजधानी में हुआ राज्य स्तरीय सम्मलेन, पदाधिकारियों ने कहा – कानून का सख्‍ती से हो पालन

Posted by - September 28, 2022 0
Ranchi awaz live झारखंड में बाल विवाह रोकने के लिए कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन ने ‘बाल विवाह’ रोकने के लिए…

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *