शरद पवार ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष बने रहेंगे क्योंकि उनके ओर से गठित 18 सदस्यीय पैनल ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया है। दरअसल, गत मंगलवार को एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले पवार ने पार्टी का भविष्य तय करने एवं नया अध्यक्ष चुनने के लिए इस पैनल का गठन किया था। पवार ने कहा कि पैनल उनके लिए जो भूमिका तय करेगा उसे वह निभाएंगे। इस पैनल ने शुक्रवार को अपनी बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया। साथ ही पैनल ने उन्हें अध्यक्ष पद पर बने रहना का अनुरोध किया। पैनल के इस फैसले पर मुंबई स्थित पार्टी कार्यालय के बाहर एकत्र कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई और जश्न मनाने लगे।
प्रस्ताव में पवार से अध्यक्ष पद पर बने रहने की अपील
एनसीपी के प्रवक्ताओं ने अपना प्रस्ताव पार्टी नेता प्रफुल्ल पटेल को सौंपा। इस प्रस्ताव में कहा गया कि शरद यादव को पार्टी का अध्यक्ष बने रहना चाहिए। हम कार्यकारी अध्यक्ष बना सकते हैं लेकिन अध्यक्ष पद पर शरद पवार को ही होना चाहिए। प्रफुल्ल पटेल ने कहा, ‘राज्य, पार्टी और देश को अब आपकी जरूरत है। आप इस पार्टी के आधार हैं। देश के आप एक सम्मानित नेता हैं। आपका प्रभाव पूरे देश में है। हमने सर्वसम्मति से उनका इस्तीफा नामंजूर किया है। पार्टी उन्हें अध्यक्ष पद पर बने रहना देखना चाहती है।’
एनसीपी कार्यकर्ताओं ने पवार के समर्थन में नारेबाजी की
पटेल ने आगे कहा, ‘मेरे साथ एनसीपी के कई नेताओं ने पवार साहेब से मुलाकात की और उनसे अपने फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए कहा क्योंकि इस समय देश एवं पार्टी को उनकी जरूरत है। केवल एनसीपी के ही नहीं बल्कि दूसरे दलों के नेताओं ने भी उनसे अध्यक्ष पद बने रहने के लिए अनुरोध किया है।’ पैनल की इस अहम बैठक से पहले मुंबई स्थित एनसीपी दफ्तर के बाहर बड़ी संख्या में कार्यकर्ता जुटे। कार्यकर्ताओं ने पवार के समर्थन में नारेबाजी की।
मंगलवार को अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा
पवार ने मंगलवार को उस पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर सभी को चौंका दिया था, जिसकी स्थापना उन्होंने 1999 में की थी । उस समय उन्होंने अपना राजनीतिक रास्ता तय करने के लिए कांग्रेस छोड़ दी थी। एक कार्यक्रम में की गई घोषणा ने 24 साल पुरानी राकांपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को स्तब्ध कर दिया। राज्यसभा सदस्य और विपक्ष के दिग्गज नेताओं में से एक, पवार ने तब कहा था कि वह राकांपा प्रमुख का पद छोड़ रहे हैं, लेकिन सार्वजनिक जीवन से संन्यास नहीं ले रहे हैं।