पूरे बिहार में आज यानि 13 अक्टूबर को जेडीयू, बीजेपी के खिलाफ पोल खोल हल्ला बोल कार्यक्रम कर रही है। पटना में गांधी मैदान के गांधी मूर्ति के नीचे जेडीयू नेता और कार्यकर्त्ता धरने पर बैठे हैं। पटना हाईकोर्ट की तरफ से निकाय चुनाव पर रोक लगाए जाने के विरोध में जदयू ने आज इसका आयोजन किया है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह समेत प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, श्वेता विश्वास और अन्य नेता पटना के गांधी मैदान में आयोजित पार्टी के पोल खोल कार्यक्रम में पहुंचे। इस दौरान ललन सिंह ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि हमने आरक्षण दिया लेकिन 2022 में केंद्र सरकार की तरफ से नई साज़िश रची गई और इस बार नगर निकाय चुनाव में आरक्षण व्यवस्था समाप्त करने का फैसला लिया गया है।
‘बीजेपी का एजेंडा है आरक्षण समाप्त करना’ – ललन सिंह
पोल खोल कार्यक्रम में ललन सिंह ने कहा, “RSS प्रमुख मोहन भागवत ने 2015 के चुनाव के पहले ही या कहा था कि आरक्षण व्यवस्था पर पुनर्विचार करना चाहिए। आरक्षण व्यवस्था को फिर से सोचने की जरूरत है। उसी समय हम लोग को लग गया कि भारतीय जनता पार्टी का एजेंडा है आरक्षण को समाप्त करना। बिहार में नगर निकाय के चुनाव में अति पिछड़े वर्ग को बिहार में 20% का आरक्षण दिया गया। 2006 में पंचायती राज को दिया गया, 2007 में नगर निकाय को दिया गया यह मामला पटना हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक गया।”
‘केंद्र सरकार की तरफ से रची गई नई साजिश’ – ललन सिंह
ललन सिंह ने आगे कहा, “पटना हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के कानून को वैध ठहराया। उसके आधार पर 2007 में, 2012 में और 2017 में चुनाव हुए। लेकिन 2022 में केंद्र सरकार की तरफ से नई साजिश रची गई और इस बार नगर निकाय चुनाव में आरक्षण व्यवस्था समाप्त करने का फैसला लिया गया है। हाई कोर्ट के द्वारा आयोग बनाने की बात कही गई है। यह आयोग बनाना मामले को लटकाने जैसा है।”
‘बीजेपी के आरक्षण विरोधी चेहरे को बेनकाब करने के लिए किया जा रहा कार्यक्रम’ – उमेश कुशवाहा
प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा, “बीजेपी के आरक्षण विरोधी चेहरे को बेनकाब करने के लिए ये कार्यक्रम किया जा रहा है। केंद्र सरकार के जिन गलत नीतिओं के कारण बेरोजगारी और महंगाई बढ़ी है उसी के विरोध में हमलोग धरने पर बैठे हैं। 2007 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नगर निकाय की नियमावली में प्रावधान लाकर पिछड़ी, अतिपिछड़ी और महिलाओं को आरक्षण देने का काम किया था। इस नियम के आधार पर तीन चुनाव हुए। लेकिन अब बीजेपी ने इसके खिलाफ याचिका दायर करवा के इसे रोकने का काम किया है। इससे बीजेपी का काला सच सामने आ गया है। बीजेपी कुछ भी कर ले लेकिन नीतीश कुमार के रहते कभी भी आरक्षण खत्म नहीं होगा।”
‘नीतीश सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का नहीं कर रही पालन’ – बीजेपी
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी नीतीश कुमार पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी आयोग नहीं बनाने को लेकर निशाना साध रही है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्देश दिया था, उसका पालन नीतीश सरकार ने नहीं किया और उसके कार्ण ही अति पिछड़ों के आरक्षण को लेकर नगर निकाय चुनाव रूका है।