पिछले कुछ दिनों से किसान आंदोलन और लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा की घटना को लेकर भाजपा नेता वरुण गांधी की ओर से कई बयान बड़े तीखे आए। इसको लेकर राजनीतिक हलके में यह चर्चा शुरू हो गई कि वरुण गांधी और भाजपा के बीच दूरियां बढ़ गई हैं। इन अटकलों को तब और हवा मिली, जब भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषित लिस्ट में वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी के नाम गायब थे।
मंगलवार को यूपी के प्रयागराज में कांग्रेसियों ने जगह-जगह वरुण गांधी का कांग्रेस में स्वागत करने वाला पोस्टर लगा दिया। इसमें सोनिया गांधी के साथ वरुण गांधी की भी तस्वीरें थीं। हालांकि वरुण गांधी ने जनसत्ता.कॉम को बताया कि ऐसी कोई बात नहीं है। ऐसा करने वाले अजीब लोग हैं। इस पोस्टर को पार्टी कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर भी वायरल कर दिया। पोस्टर में कांग्रेस पार्टी के स्थानीय वरिष्ठ नेता बाबा अवस्थी और इरशाद उल्ला की भी तस्वीरें लगी हैं।
सोशल मीडिया पर सोनिया गांधी के साथ वरुण गांधी की तस्वीरें देखकर लोग कयास लगाने लगे कि शायद वर्षों का मनमुटाव दूर कर गांधी परिवार एकजुट होने जा रहा है। लेकिन इस तरह की खबरें दोनों दलों के सीनियर नेताओं और पार्टी प्रवक्ताओं की ओर से अभी तक नहीं आई हैं। इससे इसको सिर्फ अफवाह माना जा रहा है।
इससे पहले उनके बयानों को लेकर पार्टी के भीतर और बाहर आम कार्यकर्ताओं में कई बार असहजता की स्थिति भी बनी। पार्टी नेताओं से उनके बयानों को लेकर मीडिया में भी पूछा जाने लगा था। यह भी कहा जा रहा था कि मेनका गांधी की पार्टी में उपेक्षा से दुखी होकर वरुण गांधी इस तरह के तीखे बयान दे रहे हैं। लेकिन खुद वरुण गांधी ने इसका खंडन किया और यह भी कहा कि वह कई वर्षों से राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल नहीं हुए हैं। इसलिए उसमें उनका नाम न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है।
वैसे वरुण गांधी पिछले 17 साल से भाजपा में हैं। इन दिनों वह कई मुद्दों पर विरोधी स्वर उठाते नजर आए थे। कहा जा रहा है कि इसी वजह से उनको राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर रखा गया है। उनके अलावा दो और ऐसे नाम हैं जिन्होंने सरकार की आलोचना कई बार की है। उन्हें भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह नहीं दी गई है। इसमें राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी औऱ पूर्व केंद्रीय मंत्री बिरेंद्र सिंह का नाम शामिल है।