पटना हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना पर गुरुवार को रोक लगा दी। इसको लेकर कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई पूरी कर ली थी। राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दूसरे विपक्षी दलों के नेता काफी समय से जातीय जनगणना कराने की मांग कर रहे थे। सीएम नीतीश कुमार ने इसको शुरू भी करा दी थी। राज्य में 15 अप्रैल से जातिगत सर्वे कराया जा रहा है। इसे 15 मई तक चलना था। अब तक जो भी डाटा एकत्र किया गया है, फिलहाल उसे सुरक्षित रखा जाएगा। अंतिम चरण में चल रहे इस पूरी कवायद पर पटना हाईकोर्ट के रोक लगाए जाने से बिहार की नीतीश सरकार को झटका लगा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना था कि एक बार जातीय जनगणना पूरी हो जाए तब सब कुछ साफ हो जाएगा।
पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की पीठ इस मामले में अगली सुनवाई 3 जुलाई को करेगी। कोर्ट में सुनवाई के दौरान बिहार सरकार की ओर से कहा गया था कि यह पूर्ण जनगणना नहीं है, लिहाजा जातीय जनगणना कराने का अधिकार राज्य के पास है। इसमें केवल उन लोगों की गिनती की जा रही है, जो आर्थिक रूप से पिछड़े हैं और कमजोर वर्ग के हैं।