रिजर्व बैंक गवर्नर (RBI) शक्तिकांत दास ने गुरुवार (8 जून) को कहा कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र मजबूत है। शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा गया है। यानी इसमें किसी तरह को कोई बदलाव नहीं किया गया है।
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी उदार नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करेगी। भू-राजनीतिक स्थिति की वजह से वैश्विक आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार घटेगी। मुद्रास्फीति की स्थिति पर लगातार और नजदीकी नजर रखना अत्यंत जरूरी है। दास ने कहा कि मुख्य मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर है। साथ ही इसके पूरे साल के दौरान लक्ष्य से ऊपर रहने का अनुमान है। मुद्रास्फीति को तय दायरे में बनाए रखने के लिए एमपीसी त्वरित और उचित नीतिगत कार्रवाई जारी रखेगी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, भारत के वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ने 2022-23 में 7.2% की वृद्धि दर्ज की, जो पहले के 7% के अनुमान से अधिक मजबूत है। उन्होंने कहा कि सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, वर्ष 2023-24 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 6.5% अनुमानित है।
मंगलवार को हुई थी MPC की बैठक
आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मंगलवार को बैठक हुई थी। बैठक के बाद गुरुवार को मीडिया को संबोधित करते हुए RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र काफी मजबूत है। वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में हैं। महंगाई दर में कमी आई है। उन्होंने कहा कि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रहेगी। यह लगातार दूसरी बार है, जब रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। दास ने कहा कि वैश्विक स्तर पर महंगाई उच्च बनी हुई है और भारत में महंगाई काबू में बनी हुई है।
अप्रैल में पिछली एमपीसी बैठक में रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर में बढ़ोतरी का सिलसिला रोक दिया था। इससे पहले महंगाई पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय बैंक ने मई, 2022 से रेपो दर ढाई प्रतिशत बढ़ाई थी। हाल ही में RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने वित्त वर्ष 2022-23 में देश की आर्थिक वृद्धि दर को लेकर एक बड़ा बयान दिया था।
CII के सालाना अधिवेशन में शक्तिकांत दास ने दी थी चेतावनी
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि वित्त वर्ष 2022-23 में देश की आर्थिक वृद्धि दर सात फीसदी से अधिर रहने की संभावना है। CII (उद्योग संघ कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) के सालाना अधिवेशन में आरबीआई गवर्नर ने उद्योग जगत चेतावनी देते हुए कहा था कि महंगाई पर अभी खतरा टला नहीं है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा था कि सेंट्रल बैंक रेपो रेट जमीनी हालात को देख कर ही तय करती है। यह मेरे हाथ में नहीं है। यह सब जमीनी स्थिति पर निर्भर करता है। हमें सतर्क रहना होगा।
दास ने कहा था कि विशेष रूप से हमें यह देखना होगा कि एल नीनो का मानसून पर कितना असर पड़ता है। साथ ही यह देखना भी महत्वपूर्ण होगा कि मौसम विभाग इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून की दिशा और दशा पर अपने अपडेटेड मानसून फोरकास्ट रिपोर्ट में क्या तथ्य पेश करता है।
क्या होता है रेपो रेट का अर्थ
रेपो रेट का अर्थ होता है कि रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों को दिए जाने वाले कर्ज की दर। बैंक इस चार्ज से अपने ग्राहकों को लोन प्रदान करता है। रेपो रेट कम होने का अर्थ है की बैंक लोगों को कम ब्याज दर पर लोन देगा और अगर यह बढ़ती है तो बैंक अपने लोन महंगा करता है और लोगों की ईएमआई भी बढ़ जाती है।