उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर की प्रसिद्धि देश-दुनिया में फैली हुआ है। हर साल आषाढ़ मास में होने वाली रथ यात्रा को देखने के लिए दुनियाभर के भक्त यहां मौजूद रहते हैं और अपने भगवान की एक झलक पाने के लिए उत्सुक रहते हैं। लेकिन रथ यात्रा निकलने के ठीक 15 दिन पहले जगन्नाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिया जाते हैं, क्योंकि बाबा बीमार पड़ जाते हैं। जानिए आखिर क्यों हर साल जगन्नाथ जी होते हैं और बीमार। इसके पीछे की क्या है कथा?
कब से शुरू होगी जगन्नाथ रथ यात्रा 2023
हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन जगन्नाथ रथ यात्रा निकलती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल द्वितीया तिथि 19 जून को सुबह 11 बजकर 25 मिनट से शुरू हो रहा है और 20 जून को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट तक है। ऐसे में उदया तिथि होने के कारण रथ यात्रा 20 जून को आरंभ होगी। लेकिन इससे पहले 15 दिनों के लिए जगन्नाथ बाबा एकांतवास में रहते हैं।
जगन्नाथ बाबा क्यों होते हैं 15 दिनों के लिए बीमार
मान्यता है कि रथ यात्रा आरंभ होने के 15 दिन पहले जगन्नाथ बाबा काफी बीमार पड़ जाते है्ं जिसके कारण उन्हें एकांतवास में रखा जाता है। दरअसल, आषाढ़ मास में अधिक गर्मी होती है। इसलिए बाबा ज्येष्ठ मास के दिन अपने गर्भगृह से निकलकर 108 घड़े के ठंडे पानी से स्नान करते हैं। इसे स्नान उत्सव कहा जाता है। इसके बाद से 15 दिनों के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, क्योंकि अधिर स्नान करने के कारण बाबा बीमार हो जाते हैं। इसके बाद उनका विधिवत तरह से उपचार किया जाता है। उनकी देखभाल एक मरीज की तरह की जाती है।
7 दिनों तक का होता है रथ यात्रा उत्सव
हर साल आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि के दिन जगन्नाथ बाबा अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ गर्भगृह से बाहर निकलकर रथ में सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। इसके साथ ही अपनी मौसी गुंडिचा मंदिर में जाते हैं और वहां पर पूरे सात दिनों तक रहते हैं। इसके बाद फिर अपने मंदिर वापस आते हैं।