धनबाद के बहुचर्चित प्रमोद सिंह हत्याकांड में 18 साल बाद शुक्रवार को न्यायालय ने अपना अहम फैसला सुनाया। इस मामले में कांग्रेस नेता रणविजय सिंह, संतोष सिंह और सरायढेला के तत्कालीन थाना प्रभारी एमपी खरवार के अलावा तीन अन्य को बरी कर दिया है. इसमें तीन आरोपी सुरेश सिंह, सैयद मोहम्मद अख्तर उर्फ खड़क सिंह और कश्मीरा खान की मृत्यु ट्रायल के दौरान हो चुकी है।
यूपी के डॉन बृजेश सिंह के रिश्तेदार प्रमोद सिंह की हत्या तीन अक्तूबर 2003 को धनसार थाना क्षेत्र के बीएम अग्रवाल कॉलोनी में गोली मारकर कर दी गई थी। प्रमोद सुबह वाराणसी से ट्रेन से लौट कर अपने घर धनसार जा रहे थे। घर से थोड़ी ही दूरी पर हमलावरों ने उन पर गोलियां बरसाई थीं। घटना के बाद सुरेश सिंह (फिलहाल मृत), रणविजय सिंह तथा संतोष सिंह ने घायल प्रमोद को तत्काल केंद्रीय अस्पताल लाया था, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।
मृतक प्रमोद सिंह के कथित मृत्यु पूर्व बयान के आधार पर सिंह मेंशन के रामधीर सिंह तथा उनके भतीजे व संजीव सिंह के बड़े भाई राजीव रंजन सिंह को नामजद आरोपी बनाया गया था। पुलिस ने प्राथमिकी के समर्थन में कांग्रेस नेता सुरेश सिंह, रणविजय सिंह और संतोष सिंह का पुलिस ने धारा 164 के तहत बयान भी कराया था।
सीबीआई की लखनऊ क्राइम ब्रांच की टीम ने इस मामले का अनुसंधान किया था। सीबीआई के इंस्पेक्टर मुकेश शर्मा ने मामले का अनुसंधान कर रामाधीर सिंह को क्लिनचिट देते हुए नौ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दी थी।