गौवध निषेध कानून को सख्ती से लागू किया जाएगा
धनबाद. झारखंड में गौवध निषेध कानून को सख्ती से लागू किया जाएगा। इस राज्य की विडंबना है कि गौ हत्या पर राजनीति तो खूब हुई पर गौ माता की सेवा पर किसी का ध्यान नही गया. डबल इंजन की सरकार में गौ माता की सेवा करने का ध्यान किसी को नही आया. महागठबंधन की इस सरकार में गौ सेवा आयोग का पूर्ण गठन किया गया है. उक्त बातें गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने धनबाद परिसदन में कही. प्रेस वार्ता में कांग्रेस नेता वैभव सिन्हा उपस्थित थे.
राजीव रंजन ने कहा कि वे दो दिन के प्रवास के दौरान रांची,गिरिडीह के बाद धनबाद पहुंचे हैं. दौरे के क्रम में उन्होंने धनबाद के बस्ताकोला और कतरास गौशाला का निरीक्षण किया.
उन्होंने कहा कि झारखण्ड में अबतक गौ सेवा आयोग की पहचान एक अनुदान देनीवाली संस्था के तौर पर ही रही है. झारखंड राज्य गौ सेवा आयोग ने गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने और इसके व्यवस्था में सुधार के प्रयास तेज कर दिये हैं.
झारखण्ड में निबंधित 23 गौशालाएं संचालित है.जिसमें गौ वंशियों के भोजन आदि की व्यवस्था करना एवं एक सुपर स्ट्रेक्चर का निर्माण हमारी प्राथमिकता है.आयोग की पिछली बैठक में कई योजनाओं को धरातल पर उतारने का निर्णय किया गया है.
उन्होंने कहा आज लोग गौ सेवा तो करना चाहते हैं पर वर्तमान परिदृश्य में यह संभव नही हो पाता है कि सभी गौ पालक बनकर गौ सेवा कर सके.इसके लिए आम जनमानस की भागेदारी के लिए आयोग के द्वारा इस राज्य में योजना लाया जा रहा है,हमारी गौमाता हमारा दायित्व के नाम से. इसमें सीधे – सीधे आम जनमानस को गौ सेवा के लिए योजना से जोड़ा जाएगा.सभी गौशालाओं का डेटा बेस भी तैयार किया जा रहा है, गौ वंशियों के पालन पोषण की पूरी जानकारी वेबसाईट में होगी ताकि कोई भी जो गौ पालक बनना चाहता है वह अपनी इच्छाशक्ति अनुसार गौशाला को गोद लेकर गौ सेवा कर पाए ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित कराएंगे.
गौशालाओं में रखे जाने वाले मवेशियों के लिए खुराकी दर (प्रति) 100 रुपये अभी है, इसे 150 रुपये तक किए जाने का प्रस्ताव सरकार को दिया जायेगा. एक वर्ष की बजाये 2 वर्ष के लिए इस राशि को दिलाए जाने की कोशिश है.
उन्होंने कहा गौशालाओं के अंदर देसी नस्ल के गाय में वृद्धि के लिए नंदिशाला के निर्माण करने का निर्णय लिया गया है साथ ही उनके भोजन आदि की व्यवस्था के लिए प्रति गाय 200 रू की राशि गौशालाओ को प्रदान के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है.
सड़कों पर भटकती गायों (गौ वंशीय) को दुर्घटना, बीमारी से बचाव के लिए हैड्रोलिक वैन की खरीद की तैयारी है. सरकार के स्तर से इस पर निर्णय लिया गया है. इसका संचालन गौशालाओं के जरिये होगा.
जिलों में गोचर भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने को सभी जिला प्रशासन से सहयोग मांगा गया है. इससे पशु तस्करी से बचाये गये मवेशियों के रख रखाव में आसानी होगी. गौशालओं पर से भार कम होगा.
उन्होंने कहा गौशालाओं की जमीन के संरक्षण के लिए उसे प्रतिबंधित सूची में डाला जाए इसके लिए प्रस्ताव बनाकर राज्य के मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री को भेजनें का निर्णय हुआ है.
उन्होंने कहा एक लम्बे अंतराल के बाद भी राज्य के अंदर 8 ऐसे जिले हैं जहां की गौशालाएं निबंधित नही है. चाकुलिया में ध्यान फाउंडेशन द्वारा संचालित गौशाला,जहां 16 हजार गौ वंशियों का पालन पोषण ध्यान फाउंडेशन के द्वारा किया जा रहा है.वह भी अभीतक निबंधित नही हो पाया है.इस परिस्थिति में आयोग का प्रयास है कि वह सभी गौशालाएं भी सभी अहर्ताओ को पूरा करे ताकि जल्द से जल्द निबंधित हो सके.इसके लिए सिंगल विंडो सिस्टम प्लेटफार्म तैयार किया जा रहा है.
आगामी 23 दिसंबर को रांची में सभी गौशाला संचालको के साथ बैठक की जाएगी.बैठक में योजनाओं का चयन कर किस प्रकार से उन योजनाओं को धरातल पर उतारना है इसपर भी चर्चा होगी.बैठक में गौशालाओं की वस्तु स्थिति को भी जानेंगे.इसके लिए सभी जगह दौरा भी किया जा रहा है.