धैया में नवनिर्मित जैन मंदिर पंचकल्यानक (प्राण प्रतिष्ठा) महोत्सव के लिए पुरुषों और महिलाओं का संकलिकरण किया गया अर्थात आने वाले पंच कल्याणक महा महोत्सव में किसी के घर , परिवार में कोई जन्म, मरण हो तो उनकी प्रतिज्ञा रहेगी कि वो अनुष्ठान बीच में छोड़ कर नही जाएंगे ।
अनुष्ठान में शामिल रहने पर इसका उन्हें कोई दोष नही लगेगा । चार पुरुषार्थो में आज मुनि श्री प्रमाण सागर जी ने तीसरे पुरुषार्थ ‘काम ‘ के बारे में बताया ।उन्होंने बताया काम सेवन गृहस्थ मनुष्यो के लिए संस्कृति में स्वीकार्य है पर यह भी धर्म के रास्ते पर ।
भारतीय संस्कृति में परिणय संस्कार एक धार्मिक क्रिया है जिसमे एक पुरुष और एक नारी का विवाह होता है और वो जीवन भर साथ चलने का प्रतिज्ञा करते है। इसीलिए इसे धर्म विवाह कहा जाता है और पत्नी को धर्म पत्नी ।