ना हर्रे लगे न फिटकरी, रंग चोखा ही आवे, 50 फीसदी बोकस इंडस्ट्रीज कोटा का कोयला बाजार में बेच रहे खुलेआम

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धनबाद।   झारखंड सरकार छोटे और मझोले उद्योगों को कोल इंडिया से प्रति यूनिट सालाना 10 हजार टन कोयला  नोटिफाइड प्राइस पर खरीदकर 500 रुपए लेकर देती है लेकिन सरकार की इस योजना का लाभ  उठाते हुए बोगस इंडस्ट्रीज अपने यहां कोयला खपत नही करके खुले बाजार में बेच रहे हंै और करोड़ों के न्यारे व्यारे कर रहे हैं। झारखंड सरकार जेएसएमडीसी के जरिए उक्त कोयला देती है।

कैसे होता है गोरखधंधा:
राज्य सरकार कोल इंडिया  से  अधिकतम 10 हजार टन प्रति वर्ष कोयला खरीदकर  नोटिफाइड दर से पांच सौ रुपए लेकर छोटे एवं मझोले उद्योग को देती है । ताकि ऐसे उद्योग बचे रहें। लेकिन ये क्या सरकार की इस सोच को धुरंधर पलीता लगाने से नही चुकते।  अभी वर्तमान में ऐसे इंडस्ट्रीज में 50 फीसदी बोगस इंडस्ट्रीज अपना इंडस्ट्रीज चलाने में रुचि नही दिखाते ओर खुले बाजार में  कोयला बेच देते हैं।  ऐसे इंडस्ट्रीज 5 करोड़ तक कमाई कर लेते है । ये हुई न हर्रे  लगे न फिटकरी चोखो होए काम । ऐसे इंडस्ट्रीज  कोयला उठाने के बाद  थोड़ा इधर -उधर   ले देकर ( विटामिन एम )  देकर चांदी काटते हैं ।

यह व्यवस्था ना केवल झारखंड बल्कि देश के सभी राज्यों में है।  छोटे और मझौले उद्योग को नोटिफाइड प्राइस पर कोयला  देती है कि  ऐसे उद्योग को बचाया जा सके। अभी नोटिफाइड प्राइस लगभग 4655 है। बोगस कंपनियां इतने में खरीदकर 10 हजार से अधिक में खुले बाजार में बेच देती है। ऐसे में सीधे तौर पर   5 हजार टन प्रति टन की दर से बैठे बिठाए मुनाफा कमा रही है। पांच करोड़ का जब मुनाफा बिना कुछ किये -धरे आ रहा है तो फिर उन्हें अपना इंडस्ट्रीज चलाने की जरुरत क्या है। इतना तो शायद उद्योग चलाकर भी उन्हें ना मिलता होगा, लेबर और अन्य तरह की समस्या अलग है। खुले बाजार में कोयला बेच देने पर इन सारी बातों से फर्जीवाड़ा करने वाले मुक्त रहते हैं।

क्या है  उद्योग विभाग का आंकड़ा :
धनबाद में हाडर्कोक उद्योग की संख्या  96 ओर  सॉफ्ट कोक की संख्या 29 है।
इसमें कई इंडस्ट्रीज  रूग्ण है।

947 मेजर ओर 155 माइनर  ट्रेडर्स  :    
खनन विभाग की माने तो धनबाद में  947  बड़े ओर    155 छोटे ट्रेडर्स है। डीएमओ बताते है कि मेजर में कोयला और माइनर में बालू और गिट्टी आता है।
कुल कितना कोटा कोयला का वारा न्यारा होता है। इस पर जवाब देने से दोनो विभाग के अधिकारी कन्नी काटने लगे।
क्या कहना है  आईसीए का :

फर्र्जी कंपनी के नाम पर सरकारी कोटा का कोयला का वारा न्यारा किए जाने पर इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स के अध्यक्ष  लग•ाग बिफर पड़े। उन्होंने कहा कि  एक ओर फर्र्जी कंपनी के नाम पर छोटे उद्योग को कोयला लिकेंज के आधार पर दिया जा रहा है लेकिन कही भी उसकी  जांच नहीं होती।

दूसरी ओर कोयला कंपनी की नीतियों  के कारण हार्ड कोक उद्योग का एफएसए के तहत कोयला बंद हो गया। हालत यह है कि अधिकांश हार्डकोक उद्योग बंद होने के  कगार पर पहुंच गए हैं। हालात यह है कि या तो चोरी के कोयला से उद्योग चलाएं या फिर उसमे ताला लगा कर हरि राम की कीर्तन करें। उन्होंने कहा कि  कोयला मंत्रालय हजारों मजदूरों को बेरोजगार बनाने पर तुला है। उन्होंने कहा कि सरकार और वि•ााग की नीतियों के कारण उनका सब •ाट्ठा बंद है।

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