झरिया: जगत के नाथ भगवन जगन्नाथ की रथ यात्रा शुक्रवार को धूमधाम से झरिया कोयलांचल में निकाला गया। यात्रा नगर भ्रमण कर भक्तों संग भगवान झरिया के चार नंबर टैक्सी स्टैंड मासीबाड़ी पहुंचे। जहां भक्तों ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा का भव्य स्वागत किया। भक्तों ने आस्था की डोर से प्रभू का रथ खींचकर परिवार और समाज के लिए कामना की। बृजगोपिका मिशन के श्रद्धालु जय जगन्नाथ… राधे राधे, गोविंद गोविंद, राधे राधे गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो… जय जय राधा रमण हरि बोल… नाथ के नाथ जगन्नाथ आदि के जयकारे लगा रहे थे।
श्रद्धालुओ ने विधिवत पूजा-अर्चना की। रथ यात्रा पंचदेव मंदिर से शाम करीब 4.30 बजे निकाली। शहर बाटा मोड़, सब्जी पट्टी हनुमान मंदिर, घटक मंदिर, लक्ष्मीनिया मोड़ श्री राणी सती मंदिर, लाल बाजार श्री सत्यनारायण मंदिर, श्री श्याम मंदिर, चिल्ड्रेन पार्क मोड़ श्री राम जानकी मंदिर होते हुए चार नंबर मां मंगला चंडी मंदिर आदि स्थानों पर रथ का भव्य स्वागत किया गया। झरिया के गणमान्यों के साथ शहर के श्रद्धालु जहां पूजा में शामिल हुए। आपको बता दे कि काले हीरे की ऐतिहासिक नगरी झरिया में ब्रिटिश काल के समय से ही रथ यात्रा निकलती आ रही है।
झरिया के रामखेलावन साव ने पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूरी होने के बाद 1932 में पहली बार मेन रोड स्थित प्राचीन चोटिर पंचदेव मंदिर से रथ यात्रा निकाली थी। 90 वर्षों से झरिया में रथ यात्रा निकलती आ रही है। कुछ वर्ष पूर्व तक रथ यात्रा खुद से निकालने के बाद रामखेलावन ने इसकी जिम्मेवारी हिंदू संगठन और हिंदू समाज के लोगों को दे दी। हालांकि रथ यात्रा में स्वर्गीय रामखेलावन के पोता अजय गुप्ता, और सूरज गुप्ता के अलावा अनेक लोग शामिल होते हैं।
रथयात्रा संचालन समिति के अध्यक्ष विष्णु त्रिपाठी ने कहा कि कोरोना काल में दो वर्षों तक सांकेतिक रथ यात्रा निकाली गई। शुक्रवार को रथ द्वितीया के अवसर पर पंचदेव मंदिर से इस वर्ष धूमधाम से शाम को रथ यात्रा निकाली गई। हजारों लोगो ने आस्था की डोर से भगवान के रथ को खिंचा ।नगर का भ्रमण कर रथ यात्रा देर शाम चार नंबर टैक्सी स्टैंड स्थित मौसी बाड़ी में पोहुची। यहां तीन दिनों तक भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और माता सुभद्रा का रथ रहेगा। इसके बाद रथ यात्रा का समापन होगा। रथ पंचदेव मंदिर पहुंचेगी। यहां प्रभु और माता की मूर्ति को पुन : स्थापित किया जाएगा।
रामखेलावन के स्वजन अजय गुप्ता का कहना है कि उनकी कोई संतान नहीं थी। वे काफी परेशान थे। एक दिन रामखेलावन के सपने में भगवान जगन्नाथ आए। कहा कि पुरी मंदिर आकर दर्शन करो। इसके बाद झरिया में रथ यात्रा निकालो। तुम्हारी मनोकामना पूरी होगी। पुरी मंदिर का दर्शन करने के एक साल बाद रामखेलावन को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। इसके बाद रामखेलावन ने धूमधाम से पंचदेव मंदिर से रथ यात्रा निकाली। इसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए। तब से झरिया में रथयात्रा लगातार निकलती आ रही है।