झरिया: समय के साथ दुनिया काफी बदल गई है। बदलना स्वाभाविक भी है। दुनियाभर में आज की तारीख में एक पर एक लग्जरी गाड़ियां हैं। सड़क पर गाड़ियों के बूते अमीरी और गरीबी का फर्क भी साफ दिखता है। लेकिन इसी देश की धड़कन एक ऐसी कार भी थी, जिसमे आम से खास सभी लोग सवारी करना पसंद करते थे । वो गाड़ी कोई और नही एंबेसडर कार थी।
एंबेसडर पहली ऐसी कार थी जिसका निर्माण भारत में किया गया। उस वक्त देश में इसे स्टेटस सिंबल माना जाता था लेकिन आज नई व आधुनिक गाड़ियों के चलन ने इसका बाजार व इस से जुड़े व्यपार पर ग्रहण लगा दिया है । एंबेसडर कार से जुड़ा एक सुनहरा इतिहास झरिया थाना क्षेत्र का चार नंबर टैक्सी स्टैंड का भी रहा है।
लगभग 60 के दसक से यहाँ कई परिवार टैक्सी चलाकर अपने परिवार का जीवन यापन करते आ रहे है। आज भी लगभग दर्जनों टैक्सी चालक है जो कि अंबेसडर कार चलाते हैं। पहले प्राइवेट टेक्सी के रूप मे आधुनिक गाड़ियां फिर पिछले दो सालों से कोरोना महामारी ने इन टेक्सी चालकों के माथे पर चिंता की लकीर खीच दी है।
इन टैक्सी चालकों का कहना है कि झरिया के इस टैक्सी स्टैंड में लग्जरी गाड़ियों की लगातार वृद्धि हो रही है। कोरोना के कारण काम धंधा चौपट है ऐसे मे समय के मांग के साथ बदलाव भी जरूरी है लेकिन आर्थिक मजबूरी के कारण फिलहाल इसी तरह जीवन यापन को मजबूर है। फिलहाल सूरज , विनोद साव , बीरेंद्र , लाली , राजू ,सलीम सिद्दीकी समेत दर्जनों टेक्सी चालक झरिया के चार नंबर स्थित इस टेक्सी स्टैंड मे पुरानी टेक्सी चला कर अपना जीवन यापन कर रहे है।
क्या कहते है चालक
मोहम्मद खुर्शीद का कहना है की लगभग चालीस साल से यहाँ टैक्सी चला रहा हु। पहले सवारियां आसानी से मिल जाया करती थी। लेकिन अब ऐसा नही है। नई गाड़ियों के प्रति लोगो का झुकाव ज्यादा है। दिलीप वर्मा ने बताया कि बयालीस साल से टैक्सी चलाते आ रहा हु। पिछले दो साल से स्थिति बद से बदतर हो गई है।
लक्ष्मण प्रशाद राउत ने कहा कि लगभग पैतालीस वर्ष से यहाँ टैक्सी चला रहा हु लेकिन इसी स्थिति आज तक नही देखी। टेक्सी व्यसाय पूरी तरह से ठप पड़ गया है।
जहरुल खान ने कहा कि लगभग चालीस साल हो गए टेक्सी चलाते हुए लेकिन आज स्थिति पूरी तरह से दयनीय बनी हुई है। सरकार को हम गरीब टेक्सी चालक पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।