रांची – झारखंड राज्य में न तो बच्चियां सुरक्षित हैं और न ही महिलाएं. आए दिन दुष्कर्म और गैंगरेप की घटनाएं हो रही हैं. फिर भी झारखंड सरकार की कानून व्यवस्था इस प्रकार की घटनाओं को रोकने में विफल है. बुधवार को ये बातें भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री सह रांची की मेयर डॉ. आशा लकड़ा ने कही.
उन्होंने कहा कि आज बच्चियां, नाबालिग, युवतियां और महिलाएं घर से बाहर निकलने पर डर रही हैं. राज्य सरकार की कानून व्यवस्था से लोगों का विश्वास टूट चुका है. वहशी दरिंदे समाज मे खुलेआम घूम रहे हैं. कहीं ऐसा न हो कि लोगों का आक्रोश फूट पड़े और वे स्वयं इन वहशी दरिंदो के खिलाफ फैसला लेने के लिए मजबूर हो जाएं. उन्होंने कहा कि झारखंड की जनता का हेमंत सोरेन की सरकार से विश्वास टूट चुका है.
उन्होंने राज्य सरकार से मांग करते हुए कहा कि दुष्कर्म व गैंगरेप की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए कठोर कानून बनाने की आवश्यकता है, ताकि इस प्रकार की मानसिकता के लोगों में डर हो. कठोर कार्रवाई के बाद ही इस प्रकार की घटनाओं पर लगाम लग पाएगा.
उन्होंने कहा कि एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) के आंकड़ों के अनुसार दुष्कर्म की घटनाओं के मामले में झारखंड देश में आठवें नंबर पर है. वर्ष 2021 में राज्य में दुष्कर्म के 1425 मामले दर्ज किए गए. अर्थात औसतन हर 6 घंटे में दुष्कर्म की एक घटना हो रही है. इसी प्रकार, अब तक झारखंड में महिलाओं पर हमला करने के 164 मामले, दहेज प्रताड़ना के 1805, दुष्कर्म के प्रयास से संबंधित 164 मामले सामने आए. इनमें 55 मामले गैंगरेप के थे. 46 ऐसे मामले दर्ज किए गए, जिसमें महिलाएं या बच्चियां दूसरी बार दुष्कर्म की शिकार हुईं. वर्ष 2021 में झारखंड में दुष्कर्म से संबंधित मामलों के में 720 लोगों को सजा सुनाई गई, जिसमें 703 पुरुष व 17 महिलाएं शामिल हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में 18 से 30 वर्ष की महिलाएं सबसे अधिक असुरक्षित हैं. 2021 में दुष्कर्म से संबंधित 1425 मामलों में 901 मामले ऐसे हैं, जिसमें 18 से 30 वर्ष की पीड़िताएं शामिल हैं.
Reporter – Akhilesh Kumar