झारखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को छठवीं JPSC के मामले में एकल बेंच के फैसले को बरकरार रखते हुए दोबारा सुनवाई के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया।इस फैसले से 326 सफल अभ्यर्थियों का बड़ा झटका लगा है। यह लोग राज्य के विभिन्न जिलों में अलग-अलग पदों पर सेवा दे रहे हैं। इससे पहले 8 महीने पहले एकल बेंच ने इस मामले में सुनवाई करते हुए JPSC द्वारा जारी मेरिट लिस्ट को रद्द करते हुए 326 अभ्यर्थियों की नियुक्ति को अवैध करार दे दिया था।
एकल बेंच के फैसले के खिलाफ कुछ लोगों ने डबल बेंच में अपील याचिका दायर की। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने इस मामले में सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने आज अपना फैसला सुनाया है। इस मामले में प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता अमितांश वत्स ने बहस की। JPSC की ओर से अधिवक्ता संजोय पिपरवाल और प्रिंस कुमार ने पक्ष रखा।
बता दें कि एकल बेंच ने छठवीं JPSC की अंतिम परिणाम को रद्द करते हुए संशोधित रिजल्ट जारी करने का निर्देश दिया था। अदालत ने माना था कि पेपर वन में सिर्फ क्वालिफाई मार्क्स लाना था लेकिन JPSC ने इसे कुल प्राप्तांक में जोड़ दिया, यह गलत है। चुनौती याचिका में कहा गया था कि छठवीं JPSC की मुख्य परीक्षा में पेपर वन (हिंदी व अंग्रेजी) का अंक कुल प्राप्तांक में जोड़ा जाना सही है।
इसी आधार पर JPSC ने मुख्य परीक्षा के बाद मेरिट लिस्ट जारी किया था। आयोग ने इस परीक्षा में 326 लोगों को सफल घोषित किया था। इसके बाद नियुक्त हुए 326 अभ्यर्थियों की ओर से इस आदेश के खिलाफ खंडपीठ में अपील दाखिल की गई थी सुनवाई के दौरान सरकार ने कहा था कि वह एकल पीठ के आदेश का पालन करेगी।
प्रार्थियों का कहना था कि JPSC की ओर से जारी किया गया रिजल्ट बिल्कुल सही है और इसमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। छठवीं JPSC मामले में याचिकाकर्ताओं ने एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी थी। जिसमें एकल पीठ के आदेश को गलत बताते हुए उस आदेश को निरस्त करने की गुहार लगाई गई थी।