ब्रिटेन में जारी राजनीतिक संकट के बीच प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि पीएम पद के लिए जब तक किसी नेता का चयन नहीं हो जाता है, तब तक वो इस पद पर रहेंगे। उन्होंने बताया कि देश के नए वित्त मंत्री चीफ नादिम जहावी के कहने पर उन्होंने देश की भलाई के लिए यह इस्तीफा दिया है। उन्होंने कहा कि पद पर रहते हुए उन्होंने जितनी उपलब्धियां पाईं उस पर उनको गर्व है।
जॉनसन ने अपने संबोधन में कहा कि जो भी देश के नए प्रधानमंत्री होंगे, उनको वो पूरा समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि अब तक के पूरे घटनाक्रम से साफ है कि अब संसदीय दल चाहता है कि पार्टी का नया नेता प्रधानमंत्री के पद पर बैठे।
बोरिस जॉनसन की कंटर्वेटिव पार्टी में उनके खिलाफ बगावत शुरू हो गई थी। जिसके बाद 41 मंत्रियों ने इस्तीफ दे दिया। इस सबके बाद उन पर भी प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे का दबाव था।
कैसे शुरू हुआ विवाद
बोरिस जॉनसन पर इस संकट की शुरुआत क्रिस पिंचर की नियुक्ति से हुई थी। इस साल फरवरी में उन्हें कंजर्वेटिव पार्टा का डिप्टी चीफ व्हिप नियुक्त किया गया था। “द सन” की एक रिपोर्ट के मुताबिक, क्रिस पिंचर ने लंदन के एक क्लब में दो युवकों को आपत्तिजनक तरीके से छुआ था। बताया गया कि इससे पहले भी कई बार उन पर इस तरह के आरोप लग चुके हैं।
यह रिपोर्ट सामने आने के बाद क्रिस पिंचर ने डिप्टी चीफ व्हिप के पद से रिजाइन कर दिया। कंजर्वेटिव पार्टी के कुछा सांसदों का कहना था कि जॉनसन को क्रिस पिंचर पर लगे आरोपों के बारे में पता था और फिर भी उनको नियुक्त किया गया।
वहीं, 1 जुलाई को सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि पीएम को क्रिस पिंचर पर लगे आरोपों की जानकारी नहीं थी और फिर सरकारी प्रवक्ता ने 4 जुलाई को कहा कि प्रधानमंत्री इन आरोपों के बारे में जानते थे, लेकिन आरोप साबित नहीं हुए थे इसलिए पिंचर को नियुक्त ना करना सही नहीं समझा। इसके बाद, जॉनसन के मंत्रियों ने एक के बाद एक इस्तीफा देना शुरू कर दिया।
सबसे पहले 5 जुलाई को वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने रिजाइन किया। उनके बाद स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद और उनके अलावा 2 कैबिनेट मंत्रियों ने भी इस्तीफा दे दिया। इस तरह दो दिन में ही 41 मंत्रियों ने रिजाइन कर दिया।