ऐसा गाँव जो आजादी के 76 साल बाद भी सड़क, पानी, बिजली .रोजगार, स्वास्थ सेवा से दूर, नहीं आना चाहते सांसद विधायक

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बड़कागांव(आवाज)।हजारीबाग जिले के आंगो पंचायत के ग्राम सिमरा जरा में आजादी के 76 साल गुजर जाने के बाद भी मौलिक समस्याएं “अंगद के पांव” की तरह जमे हुए. यह गांव 200 मीटर ऊंची पहाड़ पर बसा हुआ है. जो हजारीबाग जिले से 55 किलोमीटर दूर  है. जबकि आंगो पंचायत मुख्यालय से 8 किलोमीटर पहाड़ों की तलहटी पर स्थित  है. इस गांव में सड़क नहीं रहने के कारण विधायक सांसद या ऑफिसर नहीं जाना चाहते हैं ग्रामीणों का कहना है कि विभिन्न पार्टियों के नेता वोट मांगने आते हैं लेकिन वोट के बाद सिमरा जरा गांव आना भूल जाते हैं.

यहां सड़क बिजली,पानी,स्वास्थ,रोजगार, आंगनबाड़ी केंद्र, जन वितरण प्रणाली  दुकान आदि मौलिक सुविधाओं का अभाव है. सिमरा जरा जाने के लिए सड़क नहीं है.लोग पगडंडियों के सहारे बाजार,जिला मुख्यालय, प्रखंड मुख्यालय पंचायत, एवं स्कूल कॉलेज आंगनबाड़ी केंद्र,आ ना-जाना करते हैं. पहाड़ी क्षेत्र के  सिमरा जरा में लोग 1920 से रह रहे हैं. इस गांव में 30 घर है. सभी मांझी जाति के हैं. मैट्रिक पास 20, इंटर पास 16  है.4 विद्यार्थी स्नातक सेमेस्टर थर्ड में पढ़ाई कर रहे हैं. यहां सरकारी सुविधा के नाम पर 2007 में उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय भवन बनाया गया. दो पारा शिक्षक हैं जबकि 17 बच्चे हैं. यहां पांचवी क्लास तक पढ़ने के बाद बच्चे पहाड़ी क्षेत्रों से गुजरते हुए आठ किलोमीटर दूर पैदल चलकर  बरतुआ स्कूल में पढ़ने जाते हैं. जबकि हाई स्कूल,कॉलेज की पढ़ाई करने के लिए बच्चों को 21 किलोमीटर दूर बड़कागांव आना पड़ता  है.

 इलाज के अभाव में कई लोगों की हो चुकी है मौत है

सिमरा जरा गांव में स्वास्थ्य के लिए कोई साधन नहीं है. यहां के लोगों को उप स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए 8 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. आंगो का उप स्वास्थ्य केंद्र भी एक नर्स के सहारे चलता है.यहां कोई डॉक्टर नहीं बैठते हैं. ऐसी परिस्थिति में 22 किलोमीटर दूर बड़कागांव अस्पताल आना पड़ता है.सड़क नहीं रहने के कारण बीमार व्यक्तियों को खटिया में टांग कर अस्पताल ले जाना पड़ता है. लेकिन जाते-जाते रास्ते में कई लोगों की मौत हो जाती है.

 रास्ते में दर्जनों की हो गई मौत

गांव के मालिक साहिब राम मांझी एवं जीतन मांझी ने बताया कि 7 वर्षों से लेकर अब तक दर्जनों लोगों की मौत अस्पताल ले जाने के कारण रास्ते में ही मौत हो चुकी है, जिसमें से बिरसा मांझी की  पत्नी सधनी देवी, जुलाई 2018  मे, दशमी देवी  (28 वर्षी) की मौत 17 नवंबर 2022 मे, 2016 में कपूर कुमार ( 7 वर्ष )राजू हेंब्रम (3वर्ष ) 5 वर्ष पहले बेनी राम मांझी, मुंशी मांझी, 7 वर्ष पहले गुल्ली देवी, संझली देवी, 6 वर्ष पहले बोधा राम मांझी, लेटे मांझी, बिगा रामा मांझी, शर्मा मानसी की पत्नी आशा हेंब्रम की मौत हो गई.

 पानी के लिए हाहाकार सिमरा जारा में पानी के लिए हमेशा हाहाकार मची रहती है. एक भी चापाकल नहीं है.यहां सरकारी कुआं दो है.एक कुआं पूरी तरह सूख जाता है, तो दूसरी कुवा  गर्मी के दिनों में पानी कम रहता है,वह भी गंदा रहता है. यहाँ एक भी तलावा पोखर नहीं है.

 राशन दुकान एवं आंगनबाड़ी के लिए जाना पड़ता है 8 किलोमीटर दूर

सिमरा जारा में बच्चों की पढ़ाई के लिए आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है, और ना ही जन वितरण प्रणाली की दुकान है. राशन के लिए लाल कार्ड धारियों को 8 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. ग्रामीणों ने बताया कि डीलर द्वारा 2 किलो चावल काट लिया जाता है.
वहीं नन्हे बच्चों एवं गर्भवती माताओं को पैदल  8 किलोमीटर दूर आंगो जाना पड़ता है.

 ढिबरी युग में जीने की विवश्ता
पूरे भारत में राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत गांव में बिजली पहुंचाई जा रही है वहीं अब तक बिजली नहीं पहुंची है लोगों को ढिबरी युग में जीना पड़ रहा है. 4 साल पहले  लोगों को जरेडा द्वारा सौर ऊर्जा का सोलर लैंप मिला था, वह भी 6 महीने में ही खराब हो गया.

 धसे पुराने मिट्टी के घर में रहने को मजबूर

यहां के लोग जर्जर मिट्टी के घर में रहने के लिए मजबूर हैं.1997 में 7 लोगों को इंदिरा आवास मिला था,जो अत्यंत जर्जर हो गया. यहां के लोगों को पेंशन नहीं मिलता है 10 लोगों का राशन कार्ड नहीं बना है 1997 में लेबर कार्ड बना था लेकिन उसे काम नहीं मिलता है.

 शौचालय की व्यवस्था नहीं

स्वच्छता विभाग की ओर से भारत के हर गांव में शौचालय बनाया जा रहा है. लेकिन सिमरा जरा गांव में किसी के घर में शौचालय नहीं बना है.लोग खुले में शौच जाने को मजबूर है.

 रोड नहीं रहने कारण रिश्ता टूट गया

बिरसा मांझी ने बताया कि मेरा नया रिश्ता के लिए मेहमान लोग आए हुए थे. शादी के लिए छेका भी हो गया था.लेकिन रोड नहीं बनने के कारण रिश्ता टूट गया.

 कृषि के लिए कोई साधन नहीं

इस गांव में मात्र 2 एकड़ जमीन में धान एवं मकई की खेती होती है जिससे जीविका चलाना मुश्किल हो जाता है यही कारण कि हम लोगों को भूखमरी की स्थिति आ जाती है. यहां एक भी सरकारी नौकरी करने वाला नहीं है सभी मजदूरी करते हैं. चेन्नई,  रांची तमिलनाडु जाना पड़ता है. यहां से अब तक 15 लोग पलायन कर चुके हैं.

 ग्रामीणों की मांग

ग्रामीणों ने सड़क, बिजली, कुवे चापाकल, आंगनबाड़ी केंद्र जन वितरण प्रणाली की दुकान, उप स्वास्थ केंद्र, तलाब,जीविका पार्जन के लिए पशुधन योजना के तहत बकरी पालन,सूकर पालन गाय पालन मुर्गी पालन, भेड़ पालन की मांग किया है.

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