अखिलेश यादव बोले- मेरी रैली की भीड़ से डर कर सरकार ने वापस लिये कृषि कानून, आने लगे ऐसे कमेंट्स

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पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा ऐलान किया गया कि सरकार पिछले साल पारित तीन कृषि कानूनों को वापस ले रही है। इसको लेकर राजनीतिक पार्टियां अपनी टिप्पणी दे रही हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी के मुखिया व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किसान बिल वापसी पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि अमीरों की भाजपा भूमिअधिग्रहण व काले क़ानूनों से ग़रीबों-किसानों को ठगना चाहा। कील लगाई, बाल खींचते कार्टून बनाए, जीप चढ़ाई लेकिन सपा की पूर्वांचल की विजय यात्रा के जन समर्थन से डरकर काले-क़ानून वापस ले ही लिए। भाजपा बताए सैंकड़ों किसानों की मौत के दोषियों को सज़ा कब मिलेगी।

सपा प्रमुख के ट्वीट पर कई ट्विटर यूजर ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। मेराज अहमद खान (@MERAJ241) टि्वटर हैंडल से लिखा गया कि यूपी में समाजवादी पार्टी की हवा देखकर मोदी जी डर गए इसीलिए किसान बिल वापस ले लिया। तोशी शर्मा (Toshisharmanews) नाम के ट्विटर यूज़र ने लिखा की यह तो आपका ओवरकॉन्फिडेंस हो गया।

जीता अन्नदाता हारा अहंकार- कृषि कानून वापस होने पर सोशल मीडिया में आ रही ऐसी प्रतिक्रियाएं

अखिलेश यादव के रिश्तेदार और राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने लिखा- अहंकार टूट गया। एकता में शक्ति है। यह सबों की सामूहिक जीत है। बेरोजगारी, महंगाई, निजीकरण के ख़िलाफ हमारी जंग जारी रहेगी। उपचुनाव हारे तो उन्होंने पेट्रोल – डीज़ल पर दिखावटी ही सही लेकिन थोड़ा सा टैक्स कम किया। UP, उत्तराखंड, पंजाब की हार के डर से तीनों काले कृषि क़ानून वापस लेने पड़ रहे है। इसके साथ उन्होंने लिखा कि 26 नवंबर से किसान आंदोलनरत थे। बिहार चुनाव नतीजों के तुरंत पश्चात हम किसानों के समर्थन में सड़कों पर थे। इसी दिन किसान विरोधी नीतीश-भाजपा ने इन कृषि कानूनों का विरोध एवं किसानों का समर्थन करने पर मुझ सहित हमारे अनेक नेताओं/कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज किया। किसानों की जीत हुई।

राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट किया कि विश्व के सबसे लंबे, शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक किसान सत्याग्रह के सफल होने पर बधाई।
पूंजीपरस्त सरकार व उसके मंत्रियों ने किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी, आढ़तिए, मुट्ठीभर लोग, देशद्रोही इत्यादि कहकर देश की एकता और सौहार्द को खंड-खंड कर बहुसंख्यक श्रमशील आबादी में एक अविश्वास पैदा किया। इसके साथ उन्होंने लिखा – देश संयम, शालीनता और सहिष्णुता के साथ-साथ विवेकपूर्ण, लोकतांत्रिक और समावेशी निर्णयों से चलता है ना कि पहलवानी से। बहुमत में अहंकार नहीं बल्कि विनम्रता होनी चाहिए।

बिहार के पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने लिखा कि थूक कर चाटना इसी को कहते हैं, अहंकार की हार इसी को कहते हैं। किसान एकता ज़िन्दाबाद। बेरोज़गारी, भुखमरी, महंगाई और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ हमारी लड़ाई जारी रहेगी और हमारी एकता जीतती रहेगी।

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