प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु पर्व पर 19 नवंबर की सुबह नौ बजे देश को संबोधित किया और सितंबर 2020 में लाए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। इन कानूनों के विरोध में 26 नवंबर, 2020 से किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं। किसानों के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि अभी प्रधानमंत्री ने संकेेत दिया है, जब संसद से कानून रद्द हो जाएंगे तब हम मानेंगे। साथ ही, उन्होंने एमएसपी और अन्य मुुुद्दों पर भी रुख स्पष्ट करने के लिए कहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान का तात्कालिक असर क्या हो सकता है, इसी पर एक नजर–
राकेश टिकैत का कद बढ़ा: राकेश टिकैत की छवि मजबूत होगी। नरेंद्र मोदी जैसे कद्दावर और बहुमत वाले प्रधानमंत्री को झुकाने वाले किसान नेता के रूप में उनकी पहचान बनेगी। इसका फायदा उन्हें चुनाव में भी मिल सकता है। अगर वह खुद चुनाव लड़ें तो भी और अगर किसी के पक्ष या विरोध में अपील करें तो भी
किसानआंदोलन खत्म होने के आसार: वैसे तो राकेश टिकैत ने तुरंत आंदोलन खत्म करने से मना किया है, लेकिन उम्मीद है कि कृषि कानूून रद होने की अधिसूचना जारी होने के बाद वे सड़कों पर डटे किसानों को हटा लें। साथ ही, उम्मीद यह भी है कि अब किसानों और सरकार के बीच रिश्तों में थोड़ी नरमी आएगी और एमएसपी व अन्य मुद्दों पर बातचीत का रास्ता भी खुले।
विपक्ष को मुद्दा मिला: चुनावी माहौल में विपक्ष को सरकार को घेरने का बड़ा मुद्दा मिला है। कृषि कानून गलत थे, सरकार ने किसानों को काफी परेशान कराने के बाद उनकी मांग मानी, चुनावी हार से बीजेपी डर गई जैसे तर्क विपक्ष के नेता जोर-शोर से प्रचारित कर सकते हैं।
पंजाब में अमरिंदर से गठबंधन की राह आसान: बीजेपी और अमरिंंदर सिंह के गठबंधन की अटकलें लगती रही हैं। अगर अटकलें सच साबित हुईं तो पंजाब चुनाव में समीकरण बदल सकते हैं। कृषि कानून वापस लेने के केंद्र सरकार के फैसले से अमरिंदर का बीजेपी से गठबंधन करना और आसान हो जाएगा, क्योंकि किसान विरोधी पार्टी के साथ जाने की तोहमत उन पर नहीं लग सकेगी और खुद अमरिंदर भी किसान आंदोलन के समर्थन में रहे हैं तो उनके लिए भी किसानों के आगे दलील देना आसान रहेगा।