कोरोना के साथ ओमिक्रॉन से भी लड़ेगी यह दवा, डॉक्टरों ने तैयार किया उपचार

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एमजीएम मेडिकल कॉलेज और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की इंदौर ब्रांच ने कोरोना संक्रमितों के लिए उपचार प्रोटोकॉल तैयार किया है। मोलनुपिराविर (Molnupiravir) सहित कुछ नई दवाइयां भी प्रोटोकॉल में शामिल की गई हैं। यह प्रोटोकॉल सुझाव के तौर पर स्वास्थ्य मंत्रालय, दिल्ली भेजा गया है। वहां से प्रोटोकॉल को अधिकृत करने के बाद मरीजों का उपचार किया जाएगा।

संक्रमण बढऩे के साथ ही सरकारी व निजी अस्पतालों में दूसरी लहर में काम आई दवाइयों का स्टॉक किया जा चुका है। अन्य आवश्यक दवाइयों के स्टॉकिस्ट के साथ भी प्रशासन बैठक कर उनकी उपलब्धता का जायजा ले रहा है। अस्पतालों में पुरानी जीवनरक्षक दवाइयों के अलावा बाजार में आई नई दवाइयों की उपलब्धता भी देखी जा रही है। ज्यादा चर्चा मोलनुपिराविर को लेकर है। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना एंटी-वायरल ड्रग मोलनुपिराविर (antiviral drugs Molnupiravir) के इमरजेंसी यूज की मंजूरी दी है। इस दवा का स्टाक इंदौर पहुंच चुका है। विशेषज्ञों का दावा है कि यह ओमिक्रॉन पर भी कारगर है।

कुछ दवाइयां प्रोटाकॉल से बाहर

सोमवार को कलेक्टर मनीष सिंह व सांसद शंकर लालवानी की उपस्थिति में हुई आइएमए व नर्सिंग होम एसोसिएशन की बैठक में नई दवाइयों को उपचार प्रोटोकॉल में शामिल करने की अनुशंसा की है। इसमें रेमडेसिविर और टोसीलिजुमैब ड्रग के साथ ही मोलनुपिराविर जैसी ओरल दवाओं के अलावा कुछ नई दवाइयों को भी शामिल किया गया है। फैबी फ्लू, फेविपिराविर जैसी दवाइयों को प्रोटोकॉल से बाहर किया गया है।

 70 से 80 प्रतिशत तक प्रभावी

मोलनुपिराविर ओरल दवा को शुरुआती लक्षणों के दौरान देने की अनुशंसा की गई है। दवा 70 से 80 प्रतिशत तक प्रभावी है। कुछ दिन पहले ही इस दवा को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से मंजूरी मिली है। इस एंटीवायरल दवा को इन्फ्लूएंजा के लिए विकसित किया गया था। यह दवा वायरस के जेनेटिक कोड में गड़बड़ी कर उसकी फोटोकॉपी होने से रोकती है। पल्मोनरी डिसिस विशेषज्ञ डॉ. रवि डोसी ने बताया कि इंदौर में भर्ती 9 मरीजों पर मोलनुपिराविर का अच्छा असर देखा गया। हालांकि, ज्यादा संक्रमण वालों को रेमडेसिविर भी दिया जा रहा है।

अपनी मर्जी से न लें दवाइयां

डॉ. डोसी का कहना है कि यह दवा सिर्फ कोरोना पॉजिटिव के लिए है और डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही खरीदी जा सकेगी। अपनी मर्जी से दवा का सेवन नहीं करें। 18 साल से कम उम्र के मरीजों पर इसका उपयोग नहीं होगा। कोरोना संक्रमण की आशंका को लेकर पहले से कोई दवा लेना घातक हो सकता है।

होम आइसोलेशन में यह मरीज

अन्य गंभीर रोग न हो।
हल्का बुखार, लेकिन सांस लेने में तकलीफ नहीं।
एसपीओ-2 और ब्लड प्रेशर, सांस गति व मानसिक स्थिति सामान्य हो।

 यह उपचार देंगे

पेरोसिटामॉल (बुखार होने पर)
लगातार 5 दिन तक बुखार या कफ बढ़े तो बुडेसोनाइड-८०० एमसीजी इंहेलेशन
कम लक्षण वाले स्टेरॉइड या एंटीबॉयोटिक न लें।
मोलनुपिराविर 800 एमजी (चार दिन 200 एमजी कैप्सूल) हर 12 घंटे में 5 दिन तक। यह दवा सिर्फ डॉक्टरी सलाह पर हाईरिस्क मरीजों को दी जाएगी। गर्भवती, स्तनपान कराने वाली महिलाएं और 18 वर्ष से कम उम्र के मरीजों को यह दवा नहीं दी जाएगी।

 इन लक्षणों पर तुरंत लें डॉक्टरी सलाह

– सांस लेने में तकलीफ हो।
– लगातार तेज बुखार बना रहे।
– धड़कन तेज हो।
– सीने में तेज दर्द या अकडऩ हो।
– गंभीर कफ हो।
– कोई नया गंभीर लक्षण दिखाई दे।
– एसपीओ-2 का स्तर 94 प्रतिशत से कम हो।

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