देशभर में आज नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 126वीं जयंती मनाई जा रही है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती देश में पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने उन्हें याद किया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर कोलकाता के शहीद मीनार में आयोजित एक कार्यक्रम में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहाकि, आज हमारा देश और हमारा जीवन जिनके त्याग और तपस्या पर खड़ा है, उनको याद करना चाहिए। हम सबको मिलकर भारत को दुनिया में एक स्थान दिलाना है। इसके लिए जिन्होंने देश के लिए जीवन दिया है, उनको याद करना होगा। बचपन में ही नेताजी को परिवार के संस्कार और शिक्षकों की जो शिक्षा मिली, उनके चलते उनकी समाज के प्रति संवेदना थी। उसी का उत्तम विकास करते हुए नेताजी ने देश के लिए अपना समर्पण किया। मोहन जी ने कहा, नेताजी के सपने अभी पूरे नहीं हुए हैं। हमें इसे मिलकर पूरे करने होंगे। आरएसएस के कार्यक्रम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भतीजे अर्धेन्दु बोस भी उपस्थित थे।
सुभाष चंद्र बोस का युद्ध कौशल जगत प्रसिद्ध
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहाकि, उनके(सुभाष चंद्र बोस) युद्ध कौशल का क्या वर्णन करना। वो तो जगत प्रसिद्ध है। जिनके साम्राज्य पर सूर्यास्त नहीं होता, ऐसे लोगों के लिए एक नई सेना बनाकर उन्होंने चुनौती खड़ी की और भारत के दरवाजे पर दस्तक दी।
भारत बहुत पहले स्वतंत्र हो गया होता
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने आगे कहाकि, समय का भाग्य चक्र अगर सीधा चलता तो नेताजी भारत के अंदर प्रवेश करके बहुत आगे आ चुके होते। यहां रहकर यहां के स्वतंत्रता के लिए प्रयास करने वालों से मिलन होता और भारत बहुत पहले स्वतंत्र हो गया होता।
ऐश्वर्यपूर्ण जिंदगी व्यतीत कर सकते थे नेताजी पर उन्होंने वनवास चुना
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि, नेताजी के अधूरे कार्य को पूरा करना है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक ऐश्वर्यपूर्ण जिंदगी व्यतीत कर सकते थे, लेकिन उन्होंने वनवास चुना है।
भारत की समस्या का समाधान होते ही विश्व की सभी समस्याएं हो जाएंगी दूर
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने बताया कि, नेताजी ने अपनी किताब में जो जिक्र किया है वही हमारा मकसद है, जिसके लिए हम काम करते हैं। भारत एक छोटी सी दुनिया है। हम भारत की समस्या का समाधान करेंगे तो विश्व की समस्या का समाधान हो जाएगा। हमें अपने कुछ बुरे पक्षों को छोड़ देना चाहिए। हम स्वार्थी हो गए हैं। अब हम सामूहिक रूप से काम नहीं करते हैं।
हम देश को संघ जैसा बनाना चाहते हैं
मोहन भागवत ने कहा, देश पहले है, भारत माता प्रथम है। हमें सच्चे लोगों की जरूरत है, एक सही इंसान की। संघ क्या है? यह एक व्यक्तित्व का विकास है। सुभाष बाबू ने स्वयं को योग्य बनाने के लिए कहा है, शाखा का नियमित अभ्यास करना चाहिए। यह एक आदत होनी चाहिए। हम अपने उद्देश्य को भूल गए हैं। हम एक बड़े संघ की आकांक्षा नहीं रखते हैं। हम देश को संघ जैसा बनाना चाहते हैं। हमें चुनाव नहीं जीतना है, हमें लोकप्रियता नहीं चाहिए, हमें मशहूर होने की जरूरत नहीं है, हमें समृद्ध होने के लिए देश चाहिए।