यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ नाम की संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर किया, जिसमें उसने सुप्रीम कोर्ट से सभी न्यायिक और अर्ध-न्यायिक कार्यवाहियों में दो तरफा A4 पेपर यूज करने की अनुमति मांगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) यूयू ललित, जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने इस याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
याचिका के माध्यम से बार एसोसिएशन ने कहा कि विभिन्न प्लेटफार्मों में अलग-अलग साइज के पेपर यूज बर्बादी को बढ़ावा देता है। इसलिए पर्यावरण पर ध्यान देने के उद्देश्य से इस मुद्दे पर विचार किया जाना चाहिए। यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने याचिका में कहा कि यह जनहित याचिका भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार पर प्रकाश डालती है।
2025 तक प्रति व्यक्ति 23.5 किलोग्राम होगी कागज की खपत
यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका के माध्यम से इंडियन पेपर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के आकड़ बताए, जिसमें कहा कि भारतीय कागज उद्योग दुनियाभर के कागज उत्पादन का लगभग 4% हिस्सा है। वहीं देश में प्रति व्यक्ति कागज की खपत लगभग 13 किलोग्राम है, जो साल 2025 तक 23.5 किलोग्राम तक बढ़ सकती है।
यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका के माध्यम से इंडियन पेपर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के आकड़ बताए, जिसमें कहा कि भारतीय कागज उद्योग दुनियाभर के कागज उत्पादन का लगभग 4% हिस्सा है। वहीं देश में प्रति व्यक्ति कागज की खपत लगभग 13 किलोग्राम है, जो साल 2025 तक 23.5 किलोग्राम तक बढ़ सकती है।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से बच सकेंगे 3 करोड़ पेपर
याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वकील सनप्रीत सिंह अजमानी, यक्ष शर्मा, वरुण मिश्रा, भव्य प्रताप सिंह, सीमा ढांगरा और मंजू जेटली पेश हुए, जिन्होंने कहा कि सभी न्यायिक फाइलिंग में दो तरफा A4 पेपर यूज होने से 2 साल में लगभग 3 करोड़ पेपर बचाए जा सकते हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका में सुनवाई करने से इंकार कर दिया और वकीलों से इस याचिका को वापस लेने को कहा और जब वकीलों ने याचिका वापस नहीं ली तो इसे खारिज कर दिया।