तीनों नए कृषि कानूनों को लेकर करीब एक साल तक चले आंदोलन के बाद अब किसानों को बड़ी कामयाबी मिली है। दरअसल, केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया है। सरकार के इस फैसले से किसान काफी खुश है तो वहीं कॉरपोरेट कंपनियों में निराशा में निराशा देखने को मिल रही है। कंपनियों का कहना है कि सरकार के इस ऐलान से उन्हें काफी नुकसान हुआ है।
कॉरपोरेट सेक्टर बना रहे थे बड़ा प्लान
जानकारों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से कॉरपोरेट कंपनियों में निराशा होना तय है। दरअसल, नए कृषि कानूनों को लेकर कृषि कारोबार से जुड़ी कंपनियां और इसकी तैयारी कर रहे कॉरपोरेट सेक्टर बड़ा प्लान तैयार कर रहे थे। कॉरपोरेट सेक्टर सरकार के इस फैसले के पक्ष में था और इसके गेम चेंजर बता रहा था।
कानूनों में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग था आसान
बता दें कि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को आसान कर दिया गया था, पेप्सिको,आईटीसी जैसी कॉरपोरेट कंपनियां जिसकी मांग पिछले कई सालों से कर रही हैं। माना जा रहा था कि इन कानूनों से कृषि में स्टार्टअप को काफी बढ़ावा मिलेगा। कॉरपोरेट जगत के लोगों का मानना था कि इससे किसानों को फायदा तो होगा ही साथ ही एग्री सेक्टर की बड़ी कंपनियों को भी फायदा होगा।
पेप्सिको, रिलायंस रिटेल जैसी कई बड़ी कंपनियों को किसानों से पैदावार की खरीद को आसान बनाने के लिए ऐसे कानून लाने पर जोर दे रही थीं। कंपनियों का कहना था कि इससे बाजार और खुलेगा और पारदर्शी खरीद से किसानों की आय भी बढ़ेगी। बीते कुछ दिनों से ऐसी खबरें भी आ रही थीं कि कंपनियों ने अनाज के भंडारण के लिए गोदाम भी बनवा लिए हैं। ऐसे में सरकार द्वारा कानून वापस लिए जाने से कॉरपोरेट कंपनियों को खासा नुकसान होगा।