हड़ताल, बंद, दंगा और विरोध प्रदर्शन के दौरान संपत्ति नुकसान की भरपाई उपद्रवियों से होगी, योगी सरकार में पास हुआ विधेयक

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यूपी विधानसभा ने उत्तर प्रदेश रिकवरी ऑफ डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी एक्ट 2020 में संशोधन करते हुए गुरुवार (22 सितंबर 2022) को एक विधेयक पारित किया। इस विधेयक के मुताबिक हड़ताल, बंद, दंगा और विरोध प्रदर्शन के दौरान संपत्ति नुकसान की भरपाई उपद्रवियों और प्रदर्शनकारियों से होगी। दंगाइयों से क्षतिपूर्ति के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार कानून को और सख्त बनाने के साथ ही दावा प्राधिकरणों (Claim Tribunals) के अधिकार बढ़ाने जा रही है।

इसके साथ ही योगी सरकार ने सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों पर शिकंजा करने के लिए कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं। जिनके तहत हिंसा के दौरान पब्लिक या प्राइवेट संपत्ति की क्षतिपूर्ति के साथ घटना को संभालने और कानून-व्यवस्था बहाल करने में लगे पुलिस और प्रशासन के खर्च को भी जोड़ा जाएगा।

दावा प्राधिकरणों को स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार: उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली (संशोधन) विधेयक 2022 में जहां है, जैसा है के आधार पर दावा प्राधिकरणों को कार्यवाही के ट्रांसफर की अनुमति दी गई है। इसके अलावा दावा प्राधिकरण की शक्तियां भी बढ़ाई जाएंगी। संशोधन में न्यायाधिकरण को दावा याचिका दायर करने में देरी को माफ करने, मामले का स्वत: संज्ञान लेने और हड़ताल, बंद, दंगों, सार्वजनिक हंगामे के दौरान घायल हुए व्यक्तियों को मुआवजा दिलाने में न्यायिक विवेकाधीन शक्ति प्रदान की।

उकसाने वालों पर भी मुकदमा: अब किसी प्रदर्शन अथवा धरने के दौरान उपद्रव होने की दशा में उस आयोजन को कराने वालों को भी आरोपित बनाया जाएगा। उपद्रव के लिए उकसाने वालों पर भी मुकदमा होगा। कोई याचिका तीन महीने की जगह तीन साल तक दावा प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत की जा सकेगी। इसके साथ ही दावा प्राधिकरण को याचिका प्रस्तुत करने वाले को अतिरिक्त समय देने का अधिकार दिए जाने की भी तैयारी है।

विधेयक पेश करने के उद्देश्यों पर चर्चा करते हुए सरकार ने कहा कि यूपी रिकवरी ऑफ डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी एक्ट 2020 को सार्वजनिक स्थानों पर हिंसा से निपटने के लिए लाया गया था। हालांकि, उपरोक्त अधिनियम के लागू होने से पहले सरकारी आदेश के पालन में सार्वजनिक या निजी संपत्ति को हुए नुकसान की वसूली के संबंध में कार्यवाही को स्थानांतरित करने के लिए मौजूदा अधिनियम में संशोधन करना जरूरी है।

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