नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला बार-बार यह कह रहे हैं कि भारत सरकार को पाकिस्तान से बात करनी चाहिए। उनका कहना है कि जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति के लिए पाकिस्तान सरकार से बातचीत करना जरूरी है। उनके इस बयान पर सरकार की ओर से कड़ा रुख जताया गया है।
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला जी को अगर पाकिस्तान में अच्छा लगता है, उन्हें वहीं जाकर बस जाना चाहिए। कहा, जब देश की बात करनी होती है तो यह पाकिस्तानी राग अलापने लगते हैं। पाकिस्तान से क्यों बात करें। वह हमारे देश में आतंकी गतिविधियां संचालित कर रहा है। आतंकी हरकतें कर रहा है और ये कह रहे हैं कि उससे जाकर बात करें।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कविंद्र गुप्ता ने कहा कि “ये लोग सरकारें चलाते रहें। अपने दौर में ये लोग हुर्रियत और पाकिस्तान परस्त लोगों को खुली छूट दे रखी थी। आज जब इनकी नकेल कसी गई हैं, तो इनकी राजनीतिक दुकानें, जहां से पैसा आता था, वे बंद हो गई हैं। इसीलिए ये पाकिस्तान से बात करने की वकालत करते हैं। इस तरह की राग अलापने से ही कश्मीर की तबाही हुई है। अब इन्हें सहन नहीं किया जा सकता है। चाहे ये नेशनल कांफ्रेंस के नेता हों चाहे पीडीपी की नेता हों, इस प्रकार से देश विरोधी बयान देते है, ये कश्मीर उन नौजवानों को गुमराह किया है, पत्थरबाज इन्होंने बनाया है। अब ये सहन नहीं किया जा सकता है।
वे बोले, “आपने देश के संविधान के नाम, जम्मू-कश्मीर के संविधान के नाम पर शपथ ली थी, लेकिन शायद ये पाकिस्तान का एजेंडा यहां लागू करना चाहते हैं, तो भूल जाइए कि कभी धारा 370 वापस आएगी। पाकिस्तान के साथ हमारा जो संबंध है, वह सिर्फ यह है कि उसके पास जो जम्मू और कश्मीर का हिस्सा है, उसे वापस लेना है। इसे संसद में भी सरकार कह चुकी है।”
इससे पहले शुक्रवार को बांदीपोरा जिले में आतंकवादियों द्वारा दो पुलिसकर्मियों की हत्या के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा, “यह एक दुखद कहानी है; सब कुछ कहने वाली सरकार को हंकी-डोरी यानी सब कुछ ठीक है, लगता है। क्या यह हंकी-डोरी है? क्या लोग सुरक्षित हैं? जब आपके पुलिस कर्मी सुरक्षित नहीं हैं तो एक आम आदमी कैसे सुरक्षित है? इसी दौरान उन्होंने फारूक अब्दुल्ला ने पाकिस्तान से बात करने की वकालत की।