हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव (Himachal Pradesh Elections) के लिए मतदान कुछ ही दिन बाकी हैं। उससे पहले डाक मतपत्र (Postal ballot) से वोट डालने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसी क्रम में स्वतंत्र भारत के पहले मतदाता 106 वर्षीय श्याम सरन नेगी (Shyam Saran Negi) ने आज कल्पा में अपने घर पर डाक मतपत्र के माध्यम से 14वीं विधानसभा चुनाव के लिए 34वीं बार मताधिकार का प्रयोग किया। राज्य की 68 सीटों पर 12 नवंबर को मतदान होगा और 8 दिसंबर को मतगणना होगी। इस दिन नतीजे आने की संभावना है।
हिमाचल प्रदेश में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है। हिमाचल प्रदेश में फिलहाल बीजपेी का शासन है और उसकी कोशिश राज्य में फिर से सरकार बनाने की है। हिमाचल में हर चुनाव में सरकार बदलने की पिछले कुछ दशकों से एक परंपरा रही है। अगर परंपरा बरकरार रही तो कांग्रेस की सरकार बनेगी। हालांकि बीजेपी कई राज्यों में परंपरा को तोड़ने का कामयाब रही है। बीजेपी के स्टार प्रचारक पीएम नरेंद्र मोदी हिमाचल प्रदेश में 5 नवंबर और 9 नवंबर को दो-दो चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री शनिवार को मंडी और सोलन में रैलियों को संबोधित करेंगे। पार्टी के और सीनियर नेता लगातार रैलियां कर रहे हैं।
बीजेपी जनता से अपील कर रही है कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मतदाताओं की तरह एक बार फिर मौजूदा सरकार की राज्य की सत्ता में वापसी कराएं और हर बार सरकार बदलने के मिथक को तोड़ें। वहीं कांग्रेस लोगों को 5 साल बाद सरकार बदलने की परंपरा की याद दिला रही है। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने वोटरों से बीजेपी को बाहर का रास्ता दिखाने की अपील की।
बीजेपी मंडी, बिलासपुर, कांगड़ा, धर्मशाला, झांडुता, चांबा, देहरा, कुल्लू, हमीरपुर, नालागढ़, फतेहपुर, किन्नौर, अन्नी, सुंदरनगर, नचान और इंदौरा में असंतुष्टों से चुनौती का सामना कर रही है। वहीं पच्छाड, अन्नी, थियोग, सुलाह, चौपाल, हमीरपुर और अरकी में कांग्रेस उम्मीदवारों को बागियों का सामना करना पड़ रहा है।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और पूर्व मंत्री गंगूराम मुसाफिर पच्छाड में कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ निर्दलीय किस्मत आजमा रहे हैं। इसी तरह पूर्व विधायक कुलदीप कुमार चिंतपूर्णी में कांग्रेस के बलविंदर सिंह के खिलाफ मैदान में उतर गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की विधानसभा सीट अरकी में उनके करीबी सहयोगी रहे राजिंदर छाकुर को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया और उन्होंने बगावत का झंडा उठा लिया।