बीते 26 दिन में ही कश्मीर में आतंकवादी 10 लोगों की हत्या कर चुके हैं। दो हमलों में दो लोगों की मौत तो 2 जून को हो गई। मरने वालों में एक राजस्थान का एक युवा भी है जो कुलगाम में बैंक मैनेजर के रूप में काम कर रहा था। इसके बाद शाम को मजदूरों पर हमले की खबर आई। इसमें भी एक मजदूर की मौत हो चुकी है।
इस तरह जम्मू कश्मीर में हालात सुधरने के बजाए बिगड़ते दिख रहे हैं। इस बीच गृह मंत्री अमित शाह आज जम्मू कश्मीर की ताजा स्थिति पर चर्चा के लिए बड़ी बैठक कर रहे हैं। दूसरी तरफ आतंकियों द्वारा की जा रही टारगेट किलिंग के खिलाफ आज कश्मीरी पंडितों ने सामूहिक पलायन की बात कही है।
2 जूून साबित हो सकता है Turning Point
बता दें, 2 जून को हुए आतंकी हमले के घटनाक्रम में बैंक मैनेजर विजय कुमार की हत्या की जिम्मेदारी कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स नाम के संगठन ने ली है। पिछले 26 दिनों के Target Killing में यह पहली बार हुआ है कि किसी आतंकी संगठन ने इस तरह की हत्याओं की सीधे जिम्मेदारी ली है। यही नहीं, अब इसके प्रवक्ता वसीम मीर ने बयान जारी कर धमकी भी दी है कि कश्मीर की आबादी में फेरबदल की कोशिश का यही हश्र होगा।
हनुमान गढ़ में विजय कुमार का शव
बता दें, कश्मीर में आतंकियों द्वारा बैंक मैनेजर विजय कुमार बेनीवाल की हत्या के बाद आज सुबह विजय कुमार का शव उनके गांव हनुमानगढ़ के नोहर के भगवान गांव पहुंचा है। एम्बुलेंस को देखते ही पूरा गांव गमगीन हो गया और परिजनों का रो रो कर बुरा हाल हो गया। बता दें कि कश्मीर के कुलगाम में आतंकियों ने बैंक में घुसकर बैंक मैनेजर विजय की हत्या कर दी थी।
पहले ही जा चुके हैं 30-40 परिवार
एएनआई ने जम्मू-कश्मीर से पलायन कर रहे हिंदुओं से बात की है। पलायन कर रहे लोगों ने कहा की जम्मू, जम्मू और कश्मीर में स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। 2 जून को फिर कई हत्याएं हुईं। 30-40 परिवार शहर छोड़कर जा चुके हैं। हमारी मांग पूरी नहीं हुई। उनके (सरकार के) सुरक्षित स्थान केवल शहर के भीतर हैं, श्रीनगर में कोई सुरक्षित स्थान उपलब्ध नहीं है, पीएम पैकेज के तहत लौटे एक कर्मचारी ने कहा कि पीएम पैकेज के तहत काम कर रहे कश्मीरी पंडित अब कश्मीर घाटी से फिर जम्मू पहुंच रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हालात अब 1990 से बुरे हैं। लौट रहे लोगों का कहना की आज का कश्मीर 1990 के दशक से भी ज्यादा खतरनाक है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि हमारे लोगों को हमारी कॉलोनियों में क्यों बंद कर दिया गया। प्रशासन अपनी विफलता क्यों छुपा रहा है? लोग ये भी सवाल उठा रहे हैं – यहां सुरक्षाकर्मी भी सुरक्षित नहीं हैं, नागरिक खुद को कैसे बचाएंगे।
पलायन ही बचा विकल्प?
बता दें, कश्मीर में बदले हालात के बीच कश्मीरी पंडित और अन्य अल्पसंख्यक कर्मचारी घाटी को छोड़कर जम्मू का रुख कर रहे हैं। कुलगाम, बांदीबोरा, अनंतनाग, शापियां समेत अन्य जिलों में जम्मू संभाग के हजारों कर्मचारी कार्यरत हैं। लेकिन अब सभी डरे हुए हैं और अब पलायन के बारे में सोच रहे हैं।
अब केंद्रीय गृह मंत्री की बैठक पर नजर, बड़े फैसलों की दरकार
कश्मीर में बिगड़ते हालात को देखते हुए आज शुक्रवार 3 जून को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ नई दिल्ली में घाटी के सुरक्षा हालात पर उच्च स्तरीय बैठक करेंगे। बैठक में कश्मीर में हाल में हुई आतंकी घटनाओं खासकर लक्षित हत्याओं तथा अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर ही चर्चा होगी। आपको बता दें कि इस बैठक में गृह मंत्रालय, सेना और राज्य की सुरक्षा एजेंसियों के शीर्ष अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। इस बैठक में कश्मीर पंडितों की सुरक्षा और अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर बड़े फैसले लिए जा सकते हैं।