महाराष्ट्र की राजनीति में नया ट्विस्ट आ गया है। राज्य की कमान देवेंद्र फडणवीस, नहीं बल्कि कभी ऑटो रिक्शाचालक रहे एकनाथ शिंदे के हाथों में जाएगी। फडणवीस ने खुद यह ऐलान किया और कहा कि वह सरकार के साथ होंगे, सरकार में नहीं होंगे। शिंदे ने कहा कि यह सत्ता नहीं, विचारों की राजनीति है। उन्होंने फडणवीस की तारीफ करते हुए कहा कि यह उनका बड़प्पन है कि 130 विधायक होते हुए भी उन्होंने पद नहीं लिया, बल्कि एक शिव सैनिक का समर्थन किया है।
बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के पद पर एकनाथ शिंदे के नाम का ऐलान किया। उनके इस ऐलान से हर कोई चौंक गया। पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि आज शाम साढ़े 7 शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। फडणवीस ने आगे बताया, हमने इस मामले में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया है। उन्होंने बताया कि राज्यपाल ने हमें साढ़े 7 बजे का समय दिया है।
जनता ने बीजेपी शिवसेना गठबंधन को दिया था जनादेश
पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा शिवसेना के ये विधायक सिर्फ इस बात की मांग कर रहे थे कि उद्धव ठाकरे एनसीपी और कांग्रेस से गठबंधन की सरकार को छोड़ दें और बीजेपी के साथ गठबंधन करके सरकार चलाएं। लेकिन उद्धव ठाकरे ने अपनी ही पार्टी के इन विधायकों की बातों को अनसुना किया और कांग्रेस और एनसीपी के साथ महाविकास अघाड़ी का गठबंधन किया।।
जानिए एकनाथ शिंदे का इतिहास
58 वर्षीय शिंदे आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। एक ऑटोरिक्शा चलाने वाले से लेकर एक मुख्यमंत्री तक के सफर में शिंदे को 40 वर्षों का समय लगा। जब शिंदे महज 18 वर्ष के थे तो वो ऑटोरिक्शा चलाते थे उसी दौरान उनकी मुलाकात शिवसेना नेता आनंद दिघे से हुई। यही शिंदे के जीवन का टर्निंग प्वाइंट बना और महज 18 की उम्र में उन्होंने राजनीतिक करियर का आगाज कर दिया।
साल 1997 में पहली बार पार्षद बने तब से पीछे मुडकर नहीं देखा
साल 1997 में एकनाथ शिंदे पहली बार चुनाव जीतकर ठाणे नगर निगम के पार्षद बने। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 2004 में पहली बार ठाणे विधानसभा से भारी बहुमत से विधायक चुने गए तब से लेकर 2019 तक वो लगातार महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य बने रहे। शिंदे ने 1980 के दशक में शिवसेना ज्वाइन की थी। साल 2005 में नारायण राणे ने शिवसेना छोड़ दी थी उसके बाद से शिंदे को मौका मिला और उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर पार्टी में लगातार अपने कद को ऊंचा किया।