बिहार में नीतीश सरकार ने शराबबंदी कानून में बड़ा संशोधन किया है। इस कानून से अब बिहार में पियक्कड़ों को बहुत राहत मिलेगी। अबतक शराबबंदी वाले बिहार में शराब पीते हुए पकड़े जाने पर सीधे जेल का प्रावधान था, अब जुर्माना भर कर जेल जाने से बचा जा सकता है।
दरअसल कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने शराबबंदी कानून को लेकर नीतीश सरकार जमकर फटकारा था। शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि कानून लाने से पहले न्यायिक व्यवस्था को देखा गया था या नहीं? अगर देखा गया था उसमें जरूरी सुधार हुए या नहीं। कोर्ट इस बात को लेकर गुस्सा था क्योंकि काफी मामले पटना हाईकोर्ट में ही पेंडिंग थे, जिसमें कई जज लगे हुए थे। इससे राज्य की पूरी न्यायिक व्यवस्था ही चरमराने लगी थी।
यही कारण रहा कि शराबबंदी कानून पर आलोचना झेल रही एनडीए सरकार ने बिहार शराब निषेध विधेयक 2022 को विधानसभा में पेश किया है। इस संशोधन के अनुसार पहली बार पकड़े जाने पर जुर्माना जमा करने के बाद ड्यूटी मजिस्ट्रेट से जमानत मिल जाएगी। यदि अपराधी जुर्माना भरने में सक्षम नहीं है, तो उसे एक महीने के लिए जेल की सजा होगी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सरकार ने फैसला किया था कि शराब पीने पर पकड़ने जाने पर भी आरोपी को छोड़ दिया जाएगा। बस आरोपी को यह बताना होगा कि उसने शराब कहां से लिया।
बिहार में मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम के तहत अप्रैल 2016 से शराब का सेवन और बिक्री दोनों गैरकानूनी है। इस प्रतिबंध के बाद से बड़ी संख्या में लोग केवल शराब पीने के आरोप में जेलों में बंद हैं। इनमें से ज्यादातर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और गरीब वर्ग के लोग हैं।
बिहार में सरकार इस कानून को लेकर चौतरफा घिरी है। विपक्ष का कहना है कि यह कानून बिहार में असफल है। शराब के अवैध धंधे में सत्ताधारी पार्टी के लोग और पुलिस दोनों शामिल हैं। हाल ही में कई लोगों की मौत संदिग्ध अवैध जहरीली शराब के पीने के कारण भी हो गई है। हालांकि प्रशासन कई मौतों में जहरीली शराब की भूमिका को नकार चुका है।