संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही राज्यसभा के 12 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था। विपक्षी दलों के नेताओं ने गुरुवार को भी सांसदों के निलंबन के विरोध में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया, जिसपर राज्य सभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने नाराजगी जताई है।
एम. वेंकैया नायडू ने विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन पर कहा कि ये पहली बार नहीं है जब सदन में सांसदों के निलंबन की घटना हुई हो। उन्होंने कहा कि 1962 से 2010 तक 11 बार ऐसे मौके आए हैं, जब सदस्यों को निलंबित किया गया है। क्या वे सभी अलोकतांत्रिक थे?
राज्यसभा के सभापति ने कहा कि सदन के कुछ सम्मानित नेताओं और सदस्यों ने अपने विवेक से 12 सदस्यों के निलंबन को ‘अलोकतांत्रिक’ बताया। मैं यह समझने का प्रयास करता रहा कि सदन में जो कुछ हंगामा हुआ क्या उसका कोई औचित्य था? उन्होंने कहा कि इस निलंबन को ‘अलोकतांत्रिक’ बताने वाले एक बार भी उस निलंबन के कारणों की बात नहीं कर रहे हैं।
वेंकैया नायडू ने कहा, ”आप अपने किए का पछतावा नहीं करना चाहते हैं, लेकिन सदन के नियमों के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार इस सदन के फैसले को रद्द करने की बात कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, ”उपसभापति ने दोनों पक्षों से इस पर बात करने और सदन के सामान्य कामकाज को आगे बढ़ने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया है। मैं इस सम्मानित सदन के दोनों पक्षों से इस पर बात करने और सदन को अपना अनिवार्य काम करने का आग्रह करता हूं।”
इसके पहले, बुधवार को भी 12 सांसदों के निलंबन को रद्द करने की मांग को लेकर विपक्षी नेताओं ने संसद परिसर में अपना विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल हुए। जबकि, इसके अलावा, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव, द्रमुक के टीआर बालू और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले भी मौजूद थे। बता दें कि निलंबित हुए सांसद संसद के शीतकालीन सत्र में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।